(Pi Bureau)
प्रत्याशी को लेकर जैसा सस्पेंस अमेठी, रायबरेली और कैसरगंज में था, ठीक वैसे ही हालात पूर्वांचल की रॉबर्ट्सगंज सीट पर भी है। फर्क यही है कि यहां कोई वीआईपी नहीं है। यहां सातवें यानी अंतिम चरण में एक जून को वोट पड़ेंगे।
सातवें चरण का नामांकन शुरू होने में अब 48 घंटे शेष रह गए हैं, मगर अब तक यहां की सियासी तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। न तो सत्ताधारी गठबंधन ने उम्मीदवार की घोषणा की है और न ही विपक्षी गठबंधन की ओर से ही प्रत्याशी तय हुआ है। दोनों ही प्रमुख खेमे में प्रत्याशी को लेकर सियासी रणनीतिकार भी हैरान हैं।
लोग नामों पर सिर्फ कयासबाजी ही लगा रहे हैं। यूपी की अंतिम लोकसभा सीट रॉबर्ट्सगंज अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। मौजूदा समय यहां अपना दल-एस के पकौड़ी लाल कोल सांसद हैं। भाजपा के साथ गठबंधन में अपना दल-एस को प्रदेश में जो दो सीटें मिली हैं, उसमें रॉबर्ट्सगंज भी एक है। पार्टी अब तक तय नहीं कर पाई है कि इस सीट पर वह किसे उतारे।
पार्टी का एक धड़ा पकौड़ी लाल कोल को ही दोबारा मौका देने पर जोर दे रहा है, मगर दूसरा खेमा नए चेहरे पर दांव लगाने की पैरवी कर रहा है। इसके पीछे पिछले साल वायरल ऑडियो के कारण एक खास वर्ग की नाराजगी को कारण बताया जा रहा है।
दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन की ओर से सपा के खाते में सीट है। सपा में टिकट के कई दावेदार हैं, लेकिन जातिगत समीकरणों के लिहाज से सभी पहलुओं को टटोलने के बाद पार्टी ऊहापोह में है। वह पहले अपना दल-एस से दावेदार तय होने का इंतजार कर रही है, ताकि कई सीटों की तरह उसे यहां भी प्रत्याशी बदलने की नौबत न आए।
इसके चलते अब तक दोनों ही दलों में प्रत्याशी का चेहरा साफ नहीं हो पाया है। इस सीट पर अब तक बसपा ने ही उम्मीदवार उतारा है। नामांकन की तिथि नजदीक आने के बाद भी मुख्य दलों में छाए सन्नाटे से चुनावी माहौल जोर नहीं पकड़ पा रहा।
प्रत्याशी चयन को लेकर शीर्ष स्तर पर लगातार चर्चा चल रही है। दोनों ही सीटों पर कोई नाम घोषित नहीं हुआ है। पार्टी के सिंबल को ही अपना प्रत्याशी मानकर कार्यकर्ता चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। नामांकन से पहले ही नेतृत्व प्रत्याशी घोषित कर देगा।
प्रत्याशियों के लिए मुश्किल होगा हर दर तक पहुंचना
रॉबर्ट्सगंज भौगोलिक रूप से यूपी का सबसे बड़ा लोकसभा क्षेत्र है। बिहार, झारखंड, मप्र और छत्तीसगढ़ की सीमाओं से सटे इस सीट के एक छोर से दूसरे छोर की दूरी करीब ढाई सौ किमी है। कई गांवों की बसावट इतनी दुरुह है कि वहां तक पहुंचने में तीन-चार घंटे लग जाते हैं।
सात मई से नामांकन शुरू होगा और 30 मई को प्रचार का अंतिम दिन है। आचार संहिता को लेकर भी चुनाव प्रचार में कई पाबंदियां हैं। ऐसे में प्रत्याशियों के लिए हर मतदाता तो दूर, हर गांव तक पहुंचना भी मुश्किल है। संभव है, ऐसे बहुत से मतदाता होंगे, जिन्हें प्रत्याशी को जाने-समझे और देखे बगैर वोट देना होगा।
सातवें चरण के चुनाव के लिए नामांकन सात से
वाराणसी और गाजीपुर समेत पूर्वांचल की आठ लोकसभा सीटों पर सातवें यानी अंतिम चरण में एक जून को वोट पड़ेंगे। इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया मंगलवार से शुरू होगी। जिला निर्वाचन कार्यालय में नामांकन से जुड़ी सारी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सातवें चरण में घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदाैली, वाराणसी, मिर्जापुर व राॅबट्र्सगंज सीट पर चुनाव होंगे। रविवार को यहां व्यय प्रेक्षक भी पहुंच जाएंगे।
इस बीच गाजीपुर की जिला निर्वाचन अधिकारी आर्यका अखौरी ने बताया कि गाजीपुर लोकसभा सीट के लिए नामांकन पत्र दाखिला, उनकी जांच, नाम वापसी एवं चुनाव चिह्न आवंटन का कार्य कलेक्ट्रेट स्थित जिला मजिस्ट्रेट के न्यायालय (कमरा नं.-एक) में होगा। सात से 14 मई तक सुबह 11 बजे से दिन में तीन बजे तक (लोक अवकाश दिन को छोड़कर) नामांकन कार्य होगा। उन्होंने बताया कि अब तक यहां एक करोड़ 77 लाख रुपये की सीजर की कार्रवाई हुई है। इसमें नगदी के अलावा शराब और ड्रग्स शामिल हैं।