(Pi Bureau)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा क्षेत्र होने के चलते वाराणसी देश की राजनीति का मुख्य केंद्र बिंदु बन चुकी है। धर्म और अध्यात्म की नगरी कही जाने वाली काशी से प्रधानमंत्री ने सोमवार को करीब ढाई घंटे के रोड शो के जरिये काशी ही नहीं, पूरे देश के जातीय, सामाजिक, पौराणिक और आध्यात्मिक समीकरणों को साधा है।
आठ किलोमीटर लंबे रोड शो में मराठी, गुजराती, बंगाली, मारवाड़ी, तमिल और पंजाबी के साथ मुस्लिम समाज ने पारंपरिक वेशभूषा में पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। देश के लगभग सभी महापुरुषों के कटआउट उनके रोड शो में दिखाई दिए। काशी विश्वनाथ के दर्शन पूजन करके उन्होंने देश को अध्यात्मिक संदेश भी दिया।
रोड शो के सियासी मायने सिर्फ वाराणसी के लिए ही नहीं थे। देश-दुनिया की नजरें भी प्रधानमंत्री के रोड शो पर थीं तो भाजपा ने तैयारियां भी उसी स्तर की कर रखी थी। काशी में देश के हर राज्य के लोग बसते हैं। रोड शो शुरू होने से पहले ही 11 पॉइंट बनाए गए और उन सभी पॉइंट पर समाज के हर वर्ग, सभी बिरादरी का स्थान तय कर दिया गया। इन बिंदुओं पर बटुक, सन्यासी, महात्माओं को भी जगह दी गई।
स्वागत पॉइंट से भी बनाया जातीय संतुलन
बीएचयू से काशी विश्वनाथ धाम के बीच बनाए गए 11 पॉइंट पर जिन विधायक, मंत्री, पूर्व विधायक और पूर्व सांसद की ड्यूटी लगी थी। सभी के मायने थे। विधायक सौरभ श्रीवास्तव कायस्थ समाज से आते हैं। इसी तरह यूपी सरकार में मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु, मेयर अशोक तिवारी, पूर्व सांसद राजेश मिश्रा और विधायक नीलकंठ तिवारी ब्राह्मण समाज से आते हैं।
एमएलसी हंसराज विश्वकर्मा ओबीसी हैं। विधायक सुशील सिंह क्षत्रिय हैं। इसके अलावा पूर्वांचल में लगभग हर विधानसभा में राजभर समाज की हिस्सेदारी रहती है। लिहाजा, कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर को भी स्वागत कार्यक्रम में लगाया गया।
वहीं, भूमिहार समाज से विधायक अवधेश सिंह और पंजाबी खत्री समाज से आने वाले पूर्व एमएलसी अशोक धवन और बनिया समाज से आने वाले योगी सरकार में मंत्री रविंद्र जायसवाल को तैनात किया गया। इसके अलावा मदनपुरा में मुस्लिम समाज के लोगों ने फूल वर्षा कर प्रधानमंत्री का स्वागत किया। भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह के परिवार के सदस्य मदनपुरा के पास शहनाई वादन से नरेंद्र मोदी का स्वागत किया।
ये है जातीय समीकरण
यदि सिर्फ बनारस की बात करें तो करीब 3.5 लाख मुस्लिम, 3 लाख से अधिक ब्राह्मण, 2.5 से अधिक गैर यादव ओबीसी, 2 लाख कुर्मी, 2 लाख वैश्य, 1.5 लाख से अधिक भूमिहार और 1.5 लाख के करीब यादव और सवा लाख अनुसूचित जातियों के वोटर हैं।
सामाजिक समीकरण : जैन, मुस्लिम, सन्यासी, शैव, दक्षिण भारत को समेटा
प्रधानमंत्री के रोड शो में सिर्फ काशी नहीं, समूचा भारत दिखाई दे रहा था। जैन समाज ने णमोकार मंत्रों और पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। जगह-जगह व्यापारी, रैदास समाज के लोग और दंडी स्वामी, मठ, मंदिरों से जुड़े लोग और सन्यासी, बटुक ने स्वागत किया तो कबीरपंथ से जुड़े के लोगों ने भजन गाए। गुरुकुल की छात्राओं के अलावा वीर शैव संप्रदाय के लोग व दक्षिण भारत के लोगों ने वाद्य यंत्र बजाए तो नेपाली समुदाय ने भी पीएम का स्वागत किया।
तीन हजार से ज्यादा छोटे बड़े कटआउट, पौराणिक-ऐतिहासिक महत्व की दिखी छाया
पांच किलोमीटर लंबे रोड शो में तीन हजार से अधिक छोटे-बड़े कटआउट थे। ऐसा पहली बार था कि जब कटआउट में सिर्फ प्रधानमंत्री नहीं थे बल्कि संत, महापुरुषों को स्थान दिया गया। काशी का इतिहास और वर्तमान दिखा तो साथ ही पौराणिक महत्व ही झलक रहे थे। करीब तीन हजार से अधिक छोटे-बड़े कटआउट में काशी नरेश, पंडित मदन मोहन मालवीय, बिस्मिल्लाह खां, पंडित किशन महाराज, तुलसीदास, कबीर दास, संत रैदास भी थे। इन्हीं सभी को काशी का आधार माना जाता है। इन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों के माध्यम से काशी का नाम पूरे देश में विख्यात किया।
विकास की झलक भी दिखी
काशी विश्वनाथ भी दिखाई दिए तो काशी की पुरानी तस्वीरें और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद काशी में हुए विकास कार्य जैसे विश्वनाथ कॉरिडोर, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, टीएफसी, रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, कैंसर अस्पताल, गंगा के घाट और अन्य तस्वीरें समाहित थी। वहीं भावुकता का टच भी ऐसी कई तस्वीरों में दिखा जिसमें प्रधानमंत्री को उनकी मां दुलार रही हैं, आशीर्वाद दे रही हैं।
आध्यात्मिक महत्व
पीएम मोदी ने हर बार की तरह काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन कर विशेष पूजा की। पार्वती पतये नम: हर हर महादेव का जयकारा लगाकर अध्यात्म का संदेश दिया। इसके अलावा नामांकन के दिन भी गंगा पूजन और बाबा कालभैरव के दर्शन भी करेंगे।