(Pi Bureau)
देश की हाई प्रोफाइल रायबरेली लोकसभा सीट के लिए मतदाताओं ने 58.4 प्रतिशत मतदान कर प्रत्याशियों के भाग्य को ईवीएम में बंद कर दिया है। अब इंतजार चार जून का है। गांधी परिवार की इस प्रतिष्ठित सीट पर राहुल गांधी चुनाव मैदान में हैं। उनका मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से हो रहा है।
मैदान में बसपा के ठाकुर प्रसाद यादव भी हैं। वोट प्रतिशत बढ़ने से कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है। लोकसभा सीट की पांच विधानसभाओं में बछरावां, हरचंदपुर, ऊंचाहार और रायबरेली सदर सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच घमासान हुआ है। जबकि सरेनी में त्रिकोणात्मक संघर्ष है।
रायबरेली लोकसभा सीट से संसद केे लिए अपना नुमाइंदा चुनने के लिए मतदाताओं ने 20 मंई को मतदान किया। 2019 की तुलना में 2024 में मतदान प्रतिशत 2.6 प्रतिशत के साथ बढ़कर 58.04 प्रतिशत रहा। अब यदि विधानसभा वार तस्वीर को देखा जाए तो बछरावां में 59.91 प्रतिशत मतदान हुआ।
इस विधानसभा में एससी (पासी) मतदाता सबसे अधिक है तथा कुर्मी और लोध मतदाता है। भाजपा एससी (पासी) मतदाता को अपने पक्ष का बताती रही है। जबकि कांग्रेस यादव, मुस्लिम को अपना बड़ा वोट शेयर मानकर चल रही है।
ब्राह्मण और ठाकुर का कांग्रेस और भाजपा में बंटवारा माना जा रहा है। इस कारण यह विधानसभा हार-जीत में सबसे बड़ी भूमिका अदा करने जा रही है। हरचंदपुर विधानसभा में 59.94 प्रतिशत मतदान हुआ है तथा इस विधानसभा में 2022 के चुनाव में सपा ने जीत हासिल की थी। यहां पर सपा और भाजपा का दम दिखता रहा है।
20 मई को मतदान के दौरान कांग्रेस और भाजपा के बीच ही सीधी टक्कर हुई है। हालांकि भाजपा का इस विधानसभा में अपना परंपरागत वोट बैंक भी है। इस सीट पर सबसे अधिक यादव मतदाता हैं। कांग्रेस को इनका साथ मिलने से वह फाइट में है।
इसके बाद एससी (पासी) और ब्राह्मण तथा ठाकुर हैं। इनके वोट शेयर पर भाजपा का भी हिस्सा हमेशा से रहा है। ऐसे में यह ठाकुर और ब्राह्मण मतदाताओं ने गेमचेंजर की भूमिका निभाई है।
रायबरेली सदर विधानसभा सीट की बात की जाए तो यहां पर मतदान प्रतिशत 57.33 प्रतिशत रहा है। यहां पॉस मोहल्लों में भाजपा ने बहुत कड़ी टक्कर कांग्रेस को दी है। तो मुूस्लिम बाहुल में हाथ का पंजा तेजी से चला है। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में दोनों के बराबर रहने की संभावना है।
यहां पर यहां पर एससी (पासी) मतदाता सबसे अधिक है। भाजपा इस चुनाव में इस मतदाता को साधने के लिए खासा काम कर चुकी है। वहीं कांग्रेस ने भी कई बड़े चेहरों को इस वोट शेयर को थामने के लिए लगाया था। इसके बाद मुस्लिम, ब्राह्मण और ठाकुर मतदाता हैं। दोनों दलों में ब्राह्मणों और ठाकुर को साधने के लिए कोशिश की जाती रही है।
सरेनी विधानसभा में 55.39 प्रतिशत मतदान हुआ है तथा यहां पर कांग्रेस, भाजपा और बसपा के बीच त्रिकोणात्मक संघर्ष हुआ है। बसपा के ठाकुर प्रसाद यादव ने एससी के साथ यादव वोट शेयर पर हाथ मारने की कोशिश की है। यहां पर ब्राह्मण मतदाता सबसे अधिक है और उसके बाद ठाकुर और एससी (पासी) मतदाता है। कांग्रेस को ब्राह्मण मतदाताओं से उम्मीद रही है। जबकि भाजपा ने एससी, ठाकुर पर मेहनत की है। इस बार ब्राह्मण मतदाताओं का मत बहुत महत्वपूर्ण रहा है।
ऊंचाहार विधानसभा में इस बार लोकसभा के चुनाव में सबसे कम 55.10 प्रतिशत मतदान हुआ है। जबकि ऊंचाहार विधायक मनोज पांडे सपा को छोड़कर भाजपा में आ गए। जिससे उम्मीद थी कि इस विधानसभा में अधिक घमासान होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मतदाता बहुत खामोश रहा और मतदान कर घर चला गया। इस विधानसभा में एससी (पासी) और यादव मतदाताओं को सबसे अधिक वोट शेयर है। साथ ही ब्राह्मण, ठाकुर और मौर्य मतदाता बराबरी पर है। भाजपा यहां पर एससी, ब्राह्मण, ठाकुर को अपने साथ मानकर चल रही है तो कांग्रेस भी ब्राह्मण, यादव, मौर्य और मुस्लिम को अपना मान रही है। जिससे इस सीट पर भी भाजपा और कांग्रेस के बीच ही दोतरफा लड़ाई हुई है।
कांग्रेस और भाजपा दोनों बढ़ी हुई वोटिंग को बता रहे मुफीद
बढ़ी हुई वोटिंग को लेकर भाजपा और कांग्रेस खुद को अधिक फायदे में बता रहे हैं। भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह को 38.36 फीसदी मत मिला था तथा इस चुनाव संगठन के साथ सियासी समीकरणों को सही तरह से बैठा गया है जिससे जीत होगी। वहीं कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है। हर विधानसभा में राहुल गांधी आगे रहेंगे और सपा के गठबंधन का पूरा लाभ मिलेगा।