(Pi Bureau)
चीन के टुकड़ों पर पलने वाला पाकिस्तान अपने मित्र की सुरक्षा करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो चुका है. पाकिस्तान के नकारेपन और अक्षमता से परेशान होकर चीन ने अब तालिबान से गुहार लगाई है. चीन ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से आग्रह किया है कि वह पाकिस्तान में चल रही उसकी परियोजनाओं और सुरक्षाकर्मियों पर हमले न करे. साथ ही चीन ने तालिबान से आतंकी हमले रोकने में मदद करने की भी गुहार लगाई है. पाकिस्तान में चीनी प्रतिष्ठानों, परियोजनाओं और लोगों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. इससे चीन की महत्वाकांक्षी CPEC (चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर) परियोजना पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. बता दें कि इस परियोजना की लागत शुरुआत में 42 अरब डॉलर थी जो अब बढ़कर 62 अरब डॉलर (5158933200000 रुपये) तक पहुंच चुकी है.
दरअसल, ग्वादर पोर्ट CPEC का अहम हिस्सा है. चीन का 3000 किलोमीटर लंबा इकोनॉमिक कॉरिडोर पाकिस्तान के तीन प्रांतों से होकर गुजर रहा है. बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और पश्चिमी पंजाब से CPEC का सीधा कनेक्शन है. बलूचिस्तान के जरिये ही ग्वादर पोर्ट पर पहुंचना संभव है. इसके लिए चीन ने इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर लगातार काम चल रहा है. इन तीनों प्रांतों में चीन की कई परियोजनाएं चल रही हैं. ये इलाके आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभातवित हैं. वहीं, पाकिस्तान का अफगानिस्तान की तालिबान सरकार से भी काफी तल्ख संबंध हैं, ऐसे में इस क्षेत्र में हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे. पाकिस्तान के लाख प्रयासों के बावजूद आतंकी हमलों पर लगाम नहीं लग पा रहा है, जिससे CPEC के अस्तित्व पर खतरा उत्पन्न हो गया है.
चीन अब पाकिस्तान में अपने कर्मचारियों पर सीमा पार से होने वाले हमलों को रोकने के लिए अफगानिस्तान के तालिबान शासन पर निर्भर है. आतंकवादी हमलों को रोकने में पाकिस्तान की विफलता के कारण बीजिंग ने पाकिस्तानी सरकार पर भरोसा करना छोड़ दिया है. चीन को लगता है कि अब उसे इस संकट से तालिबान ही बाहर निकाल सकता है. इसके लिए चीन एक तरफ तालिबान प्रशासन पर दबाव डाल रहा है तो दूसरी तरफ आर्थिक मदद देने का लालच भी दे रहा है. इस्लामाबाद में मौजूद सूत्रों ने बताया कि चीन क्रॉस बॉर्डर अटैक से अपने प्रतिष्ठानों और लोगों को बचाना चाहता है, ताकि वह अपने प्रोजेक्ट को पूरा कर सके.
तालिबान को मनाने के लिए काबुल और इस्लामाबाद में मौजूद चीनी दूत को पूरी तरह से काम पर लगा दिया है. पाकिस्तान की विफलता को देखते हुए अब चीन ने अपने स्तर से कूटनीतिक कदम उठाना शुरू कर दिया है, ताकि अफगानिस्तान और ईरान से पाकिस्तान में होने वाले हमलों को रोका जा सके. दरअसल, साल 2021 में सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तानी तालिबान अफगानिस्तान में पनाह ले रखी है और वहीं से हमलों को अंजाम दिया जा रहा है. चीन इस पर लगाम लगाना चाहता है, ताकि CPEC पर बिना किसी बाधा के काम किया जा सके.