(Pi Bureau)
अर्से बाद उपचुनाव लड़ने का फैसला बसपा को नुकसानदायक साबित हुआ। चारों सीटों पर उसका वोट बैंक वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में मिले वोटों के मुकाबले घट गया। अब बसपा के सामने अगली चुनौती प्रदेश की 10 रिक्त सीटों पर होने वाला उपचुनाव है।
इसमें चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी भी ताल ठोंकने जा रही है। बसपा ने लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा की चार रिक्त सीटों ददरौल, लखनऊ पूर्वी, गैंसड़ी और दुद्धी के उपचुनाव में प्रत्याशी उतारे थे।
इन सीटों पर बसपा के प्रत्याशियों का प्रदर्शन उम्मीद के अनुरूप नहीं रहा। वह विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को मिले वोटों की संख्या तक भी नहीं पहुंच पाए। गैंसड़ी सीट पर तो बसपा के प्रत्याशी को विधानसभा चुनाव के मुकाबले आधे वोट ही नसीब हुए। वहीं ददरौल, लखनऊ पूर्वी और दुद्धी में भी वोट घट गए।
बता दें कि बसपा ने ददरौल में सर्वेश चंद्र मिश्रा, लखनऊ पूर्वी में आलोक कुमार कुशवाहा, गैसड़ी में मोहम्मद हारिस खान और दुद्धी में रवि सिंह को टिकट दिया था। इसमें से ददरौल और लखनऊ पूर्वी सीट भाजपा के खाते में, जबकि गैंसड़ी और दुद्धी सीट सपा के खाते में गई है।
आजाद समाज पार्टी से मिलेगी चुनौती
बसपा के लिए चुनौती बनती जा रही आजाद समाज पार्टी उपचुनाव में भी प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है। आजाद समाज पार्टी के सूत्रों के मुताबिक पार्टी सभी दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव में उम्मीदवार उतारेगी।
यदि बसपा इस बार उपचुनाव नहीं लड़ती है तो दलित वोट बैंक के सामने आजाद समाज पार्टी विकल्प के रूप में रहेगा। इन हालातों में बसपा को वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में मुश्किल हो सकती है।