मनोरंजन : दुनिया हर में आपने संगीत का लोहा मनवाने वाले भारतीय संगीतकार ए.आर रहमान आज अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं. रहमान का जन्म 6 जनवरी 1966 को हुआ था. रहमान ने फिल्म ‘स्लमडाग मिलिनेयर में दो बार ऑस्कर जीतकर इतिहास रच दिया. रहमान के संगीत में वाकई वो जादू है जिसको सुनकर बेजान में भी जान आ जाये. रहमान ने सिर्फ हिंदी में ही नहीं बल्कि अन्य कई भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है. रहमान को संगीत उनके पिता आरके शेखर मलयाली से विरासत में मिली. उनके पिता फिल्मों में संगीत देते थे.
आइये जानते हैं ए. आर. रहमान से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें-
- रहमान ने महज 11 साल की उम्र में दक्षिण फिल्मों के प्रसिद्ध संगीतकार इल्लैयाराजा के समूह के लिये सिंथेसाइजर बजाने का कार्य करते थे. रहमान ने संगीत की शिक्षा मास्टर धनराज से प्राप्त की थी.
- रहमान जब नौ साल के थे तो उनके पिता की मृत्यु हो गई थी. घर की हालत खराब होने के कारण उन्हें उन्हें पैसों के लिए अपने वाद्य यंत्रों को भी बेचना पड़ा था.
- रहमान को बैंड ग्रुप में काम करते हुए ही लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज ऑफ म्यूजिक से स्कॉलरशिप मिली थी जहाँ से उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में डिग्री हासिल की थी.
- स्नातक की डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने घर में ही अपना एक म्यूजिक स्टूडियो खोला और इसका नाम पंचाथम रिकार्ड इन रखा. इस दौरान रहमान ने फिल्म इंडस्ट्री में पहचान हासिल करने के लिए लगभग एक साल तक कड़ी मेहनत की.
- वर्ष 1992 उनके लिए एक अहम साल साबित हुआ. जानेमाने फिल्मकार मणिरत्नम ने उन्हें अपनी फिल्म ‘रोजा’ के लिए संगीत देने के लिए न्यौता दिया. फिल्म का म्यूजिक बेहद हिट रहा और पहली ही फिल्म में संगीत देने के लिए उन्हें फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार जीता.
- आज वे विश्व के टॉप टेन म्यूजिक कंपोजर्स में गिने जाते हैं. उन्होंने ‘ताल’, ‘पुकार’, ‘फिजा’, ‘लगान’, ‘मंगल पांडे’, ‘स्वदेश’, ‘रंग दे बसंती’, ‘जोधा-अकबर’, ‘जाने तू या जाने ना’, ‘युवराज’, ‘स्लम डॉग मिलेनियर’ और ‘गजनी’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में अपना संगीत दिया है.
- रहमान ने जानेमाने कोरियोग्राफर प्रभुदेवा और शोभना के साथ मिलकर तमिल सिनेमा के डांसरों का एक ग्रुप बनाया जिसने माइकल जैक्सन के साथ मिलकर कई स्टेज परफॉरमेंस दिये. उन्होंने देश की आजादी की 50वीं वर्षगाँठ पर वर्ष 1997 में वंदे मातरम्’ एलबम बनाया जो सुपरहिट रहा और दर्शकों ने इसे खूब सराहा.
इस्लाम अपनाने की वजह
रहमान की मम्मी को सूफी संत पीर करीमुल्लाह शाह कादरी पर बहुत भरोसा था. हालांकि उनकी मां हिंदू धर्म को मानती थीं. रहमान ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब 23 साल की उम्र में उनकी बहन की तबीयत बेहद खराब हो गई थी तो वे पूरे परिवार के साथ इस्लामिक धार्मिक स्थल गई. इसके बाद उनकी बहन स्वस्थ हो गई. इसका रहमान पर इतना असर हुआ कि उन्होंने धर्म बदलकर इस्लाम स्वीकार कर लिया. उन्होंने अपना नाम ‘अल्लाह रक्खा रहमान’ रख लिया. उन्हें आज एआर रहमान के नाम से जाना जाता है.