(Pi Bureau)
लोकसभा चुनाव से पहले सपा मुखिया ने NDA के मुकाबले PDA नारा दिया. इसी नारे को राष्ट्रीय स्तर पर बने विपक्षी गठबन्धन इंडिया ब्लॉक ने भी आत्मसात किया. साथ ही चुनाव के दौरान पिछड़ा, अल्पसंख्यक और मुस्लिमों (PDA) पर जमकर दांव चला. वहीं अयोध्या रेप केस में सपा इसी दांव पर फंसती नजर आ रही है. वह गैंगरेप जैसे जघन्य आरोप में भी खुलकर पीड़िता के पक्ष में स्टैंड नहीं ले पा रही है, बल्कि कार्रवाई पर ही सवाल उठा रही है.
अयोध्या गैंगरेप केस में आरोपी सपा का नगर अध्यक्ष बताया जा रहा है. वहीं दूसरा आरोपी भी नगर अध्यक्ष के यहां काम करता था. दोनों आरोपी अल्पसंख्यक समाज से आते हैं. वहीं नाबालिग पीड़िता पिछड़े वर्ग से है. वहीं गैंगरेप का खुलासा पीड़िता के पेट मेंदर्द होने पर हुआ. जांच में वह 12 सप्ताह की गर्भवती मिली. उसकी तबीयत बिगड़ने पर केजीएमयू इलाज के लिए रेफर कर दिया गया. उधर इस जघन्य अपराध पर जहां योगी सरकार पूरे एक्शन में है. बुल्डोजर कार्रवाई से लेकर आरोपियों पर सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया. इसके साथ ही लापरवाह पुलिसकर्मियों पर भी एक्शन लिया गया.
P और A में सपा चकराई
उधर, सपा पिछड़े (P) और अल्पसंख्यक (A) के बीच फंसी हुई है. आरोपियों के अल्पसंख्यक और पार्टी से जुड़े होने के कारण सपा मुखिया अखिलेश यादव मामले में राजनीति होने का दावा कर रहे हैं. वहीं बीजेपी उन्हें मुस्लिमों की हितैषी बताकर पिछड़ा और महिला विरोधी होने का दावा कर रही है.
उपचुनाव पर भी असर की आशंका
लोकसभा चुनाव में PDA का नारा देकर सपा यूपी में सफलता हासिल करने में कामयाब हुई. उसने जहां 37 सीटों पर जीत दर्ज की, वहीं सहयोगी कांग्रेस ने भी 6 सीटें हासिल की हैं. वहीं 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी सपा PDA फार्मूले पर ही आगे बढ़ने का एलान किया था. वहीं अब अखिलेश के DNA टेस्ट की मांग ने PDA फॉर्मूले पर सवाल खड़े कर दिए. भाजपा इसे अखिलेश के आरोपी के पक्ष में बयान देना बता रही है, जबकि अखिलेश इसे कानून सम्मत होने का दावा कर रहे हैं. ऐसे में अयोध्या केस पर सियासत चरम पर पहुंच चुकी है. बीजेपी अब इसे संसद में उठाकर सपा और विपक्ष के PDA मुद्दे और महिला सुरक्षा की पोल खोलने की तैयारी में है.