(Pi Bureau)
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने प्रदेश के ग्रामीणों को कम बिजली देने पर नराजगी जताई है। चार साल से सिर्फ 16 घंटे आपूर्ति करने पर नियामक आयोग को विद्युत वितरण निगमों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया है। यह भी कहा कि तत्काल मुआवजा कानून लागू किया जाए। आयोग को 15 दिन में रिपोर्ट देने के लिए भी कहा है। मंत्रालय का पत्र आने के बाद विद्युत निगमों में हलचल मची है।
उपभोक्ता अधिकार कानून 2020 के तहत ग्रामीण और शहरी सभी उपभोक्ताओं को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति करने का नियम है। ऊर्जा मंत्रालय ने विद्युत नियामक आयोग को भेजे पत्र में कहा है कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ 16 घंटे आपूर्ति की जा रही है। ऊर्जा मंत्रालय के उप सचिव अशोक कुमार ने 30 जुलाई को विद्युत नियामक आयोग के सचिव को भेजे पत्र में कहा है कि अभिलंब विद्युत वितरण निगमों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए और 15 दिन में कार्रवाई संबंधी रिपोर्ट भेजी जाए। अन्यथा ऊर्जा मंत्रालय को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 146 के तहत कार्यवाही शुरू करना पडे़गा। यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश में 24 घंटे विद्युत आपूर्ति न देने से उपभोक्ता मुआवजे के दायरे में आ जाते हैं। उपभोक्ताओं को मुआवजा दिलाने के लिए तत्काल कानून बनाया जाए।
उपभोक्ता परिषद ने दाखिल किया जनहित प्रस्ताव
राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने मंगलवार को विद्युत नियामक आयोग में जनहित प्रस्ताव दाखिल किया। मांग की कि उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जाए। शहरी और ग्रामीण इलाके के उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली दी जाए। परिषद के अध्यक्ष ने विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर जनहित प्रस्ताव सौंपा। यह भी बताया कि भारत सरकार द्वारा उपभोक्ता अधिकार नियम 2020 की धारा 10(1) के तहत देश के सभी राज्यों के विद्युत उपभोक्ताओं (ग्रामीण हो या शहरी) को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति अनिवार्य किया है। ऐसा न होने पर उपभोक्ताओं को मुआवजा दिया जाने का भी प्रावधान है। लेकिन प्रदेश के उपभोक्ताओं को मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। विद्युत वितरण निगमों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने में जल्दबाजी दिखाई जा रही है, लेकिन बिजली आपूर्ति में ढिलाई बरती जा रही है।