(Pi Bureau)
सामूहिक दुष्कर्म के मामले के बाद जिस निर्माण को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त करके आज वाहवाही बटोरी जा रही हैं, उस अवैध निर्माण की पिछले 12 साल से पुलिस ही रखवाली कर रही थी। दूसरों को छानबीन करके ही मकान किराए पर लेने की नसीहत देने वाली पुलिस ने अपने ही इस फॉर्मूले का पालन नहीं किया और अवैध निर्माण कर बनाए गए मकान में ही पुलिस चौकी खोल दी।
दुष्कर्म के मामले में कार्रवाई का चाबुक चला तो इसके अवैध होने की पुलिस को भी याद आई और आनन-फानन इसे खाली कर दिया गया। भदरसा में हुए दुष्कर्म मामले के बाद आरोपी के अवैध कारनामों को उजागर करने के प्रयासों के बीच प्रशासन व पुलिस के खुद के कारनामे भी उजागर हो रहे हैं।
दुष्कर्म के आरोपी के जिस मकान व निर्माण को अवैध बताया जा रहा है, वह एक दिन में हुआ निर्माण तो नहीं है। ऐसे में सवाल है कि निर्माण होते समय राजस्व महकमा कहां था? क्या निर्माण के समय राजस्व विभाग के लोगों को इसकी भनक नहीं लगी या उनकी भी इस अवैध निर्माण में संलिप्तता थी या फिर अवैध कब्जा हटवाने के लिए मुख्यमंत्री की सख्ती का इंतजार हो रहा था?
यही नहीं, जांच का दायरा बढ़ाया गया तो मालूम हुआ कि भदरसा में सपा नेता के अलावा भी बहुत सी जमीनों पर अवैध ढंग से कब्जा है। इतने बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे होते रहे, लेकिन राजस्व महकमा व पुलिस प्रशासन सोता रहा।
जब मुख्यमंत्री ने कार्रवाई का चाबुक चलाया तो अवैध कब्जों की पुलिस व प्रशासन को याद आई। उधर, वर्ष 2012 से भदरसा पुलिस चौकी की स्थापना के लिए गृह विभाग ने भी वही स्थान तलाशा, जो अवैध कब्जे की जमीन पर बना था।
माना जा रहा है कि या तो पुलिस ने चौकी खोलने से पहले जांच नहीं की या फिर इसमें भी मिलीभगत व साठगांठ करके स्वार्थ साधा गया।
प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि दुष्कर्म के आरोपियों की जांच के साथ अवैध निर्माणों को बढ़ावा देने वाले स्थानीय पुलिस व राजस्व महकमे की भी जांच और कार्रवाई होना चाहिए।
नगर पंचायत को लेना चाहिए था संज्ञान : एसडीएम
यह पुराने निर्माण हैं। चकबंदी के दौरान भी कुछ गड़बड़ियां हुई होंगी। वह एरिया नगर पंचायत का है। नगर पंचायत को इसका संज्ञान लेना चाहिए कि उनकी जमीन पर कौन कब्जा कर रहा है। लेखपाल का उससे कोई लेना-देना नहीं है। अपनी संपत्ति की सुरक्षा करना नगर पंचायत की जिम्मेदारी है। वह चाहें तो प्रशासन से मदद मांग सकते हैं।