(Pi Bureau)
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावो में मिली अब तक की सबसे बुरी हार के बाद कांग्रेस पार्टी कोमा में है. आज़ादी के बाद से कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में इतना बुरा चुनाव रिकॉर्ड कभी नहीं रहा जिसके चलते पार्टी और कार्यकर्ता दोनों हताशा की स्थिति में है. फिलहाल अभी तक कोई केंद्रीय नेता या राज्य में नेता ने इस बड़ी हार की जिम्मेदारी अपने ऊपर नहीं ली है. संगठन का हाल इतना बुरा है कि खुद पार्टी की वेबसाइट का डोमेन एक्सपायर हो गया है और मार्च आखिर से वेबसाइट बंद पड़ी है, पर कोई उसकी सुधि नहीं ले रहा है
हाल यह है कि नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर हार की जिम्मेदारी तो लेते है पर अभी तक प्रदेश कांग्रेस में हार की समीक्षा नहीं हुयी है और न ही कोई बैठक. चुनाव के तुरंत बाद से ही राज बब्बर प्रदेश से गायब है. वहीँ यूपी के प्रभारी बनाये गए पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नब़ी आजाद ने तो चुनाव के बाद यूपी चुनाव पर न तो कुछ कहा और न ही यहां आना मुनासिब समझा।
100 साल पुरानी पार्टी जिसका स्वर्णिम इतिहास रहा है के पार्टी दफ्तर में कार्यकर्ताओ के बजाये कुत्तो की भीड़ है. इस गर्मी में यहाँ वहां सायेदार पेड़ो के पास केवल कुत्ते सोते हुये मिलेंगे. पार्टी दफ्तर में दुसरे काम के लिए लगाये गए कर्मचारियों के अलावा कोई नेता नहीं दीखता है . अलबत्ता शाम को कुछ टीवी चैनेल में प्रवक्ता नियुक्त किये गए लोग चाय पीने के लिए आते है . पूरी पार्टी केवल केंद्र से मिले निर्देशों पर ही चल रही है. जो सूचना वहां से आती है उसी का पालन यांत्रिक तरीके से होता है
पूरे चुनाव तक तो ऐसा ही चलता रहा, लेकिन चुनाव के बाद दो दिन भी बैठक नहीं हो रही है। सूत्र बताते हैं कि पिछले कुछ समय से कांग्रेस कार्यालय में प्रदेश पदाधिकारियों ने इसी उदासीनता की वजह से आना-जाना भी कम कर दिया है। चुनाव परिणाम के बाद यूपी प्रभारी गुलाम नबी आजाद को लेकर प्रदेश के नेताओं में काफी नाराजगी है। विधान परिषद में कांग्रेस नेता रहे नसीब पठान ने तो गुलाम नबी आजाद को इस्तीफा देने की भी मांग की थी। उनके अलावा तमाम और नेताओं ने माना कि गठबंधन गुलाम नबी आजाद की मर्जी से हुआ और इसी वजह से कांग्रेस की ऐसी हालत हुई।