‘औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाजार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया
तुलती है कहीं दीनारों में बिकती है कहीं बाज़ारों में
नंगी नचवाई जाती है अय्याशों के दरबारों में’
(Pi Bureau)
मुंबई : आज के समाज में महिला के हालात को बयान करती हुईं ऊपर लिखी पंक्तियाँ मशहूर शायर साहिर लुधियानवी की है. साहिर लुधियानवी यह एक ऐसा नाम है, जिसको किसी पहचान की ज़रूरत नहीं. पूरा विश्व आज आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मना रहा है. लेकिन क्या आपको पता है इस महान शायर का भी आज जन्मदिन होता है. साहिर लुधियानवी का जन्म भी आज ही के दिन 1921 में लुधियाना में हुआ था.
साहिर ने ‘साधना (1958)’ फिल्म में ‘औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाजार दिया’ गाना लिखा था. और यह गाना काफी पॉपुलर भी हुआ था. इस गाने को लता मंगेशकर ने गाया था और महिलाओं के साथ होने वाले व्यवहार को उन्होंने इस गाने में बखूबी बयान किया है.
साहिर लुधियानवी-
-साहिर लुधियानवी का असली नाम अब्दुल हयी साहिर था. साहिर बहुत रईस खानदान से थे, लेकिन मां के पिता से अलग रहने की वजह से उन्हें दिन मुफलिसी में काटने पड़े.
-कहा जाता है कि साहिर लुधियानवी को अमृता प्रीतम से प्रेम हो गया था. मशहूर लेखिका अमृता उनकी शायरी की कायल थीं, लेकिन अमृता के घरवालों को ये पसंद नहीं आया और उनके कहने पर साहिर को कॉलेज से निकाल दिया गया था.
-कॉलेज से निकाले जाने के बाद उन्होंने जीविका के लिए कई तरह की छोटी-मोटी नौकरियां की, और इस बीच वे शायरी भी करते रहे. साहिर 1943 में लाहौर आ गए थे और यहां उनकी शायरी की पहली किताब ‘तल्खियां’ प्रकाशित हुई.
-लाहौर से वे दिल्ली चले आए और कुछ समय यहां गुजारने के बाद वे मुंबई चले गए. आजादी की राह पर (1949)’ के लिए उन्होंने पहली बार गीत लिखे. लेकिन उन्हें पहचान ‘नौजवान’ फिल्म के गीतों ने दिलाई.
-साहिर ने गुरुदत्त की ‘प्यासा’ के लिए गीत लिखे और ये गीत खूब हिट रहे. यही नहीं उनकी कलम का जादू ‘साधनी’, ‘बाजी’ और ‘फिर सुबह होगी’ जैसी फिल्मों में भी देखने को मिली. जिंदगी के अनुभवों को शायरी में उतारने वाले इस महान शायर ने 25 अक्टूबर, 1980 को दुनिया को अलविदा कह दिया.
साहिर लुधियानवी के लिखे लोकप्रिय गीत-
“आना है तो आ” (नया दौर 1957)
“अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम” (हम दोनो 1961)
“चलो एक बार फिर से अजनबी बन जायें” (गुमराह 1963)
“मन रे तु काहे न धीर धरे” (चित्रलेखा 1964)
“मैं पल दो पल का शायर हूं” (कभी कभी 1976)
“यह दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है” (प्यासा 1957)
“ईश्वर अल्लाह तेरे नाम” (नया रास्ता 1970)