(Pi Bureau)
लखनऊ । राजधानी के प्रतिष्ठित स्कूल सिटी मॉन्टेसरी की सभी शाखाओं के बस ड्राइवरों और कंडैक्टरों ने शुक्रवार को वेतनमान को लेकर गांधी प्रतिमा पर धरना प्रदर्शन किया । सिटी मॉन्टेसरी स्कूल साल भर दुनिया भर के अंतरार्ष्ट्रिय कार्यक्रम करवाती है और स्वयं जगदीश गांधी नोबुल पुरस्कार की होड़ में खुद को मानते है पर स्कूल के अन्दर ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है । ड्राइवर लड्डू गोपाल ने बताया कि सिटी मॉन्टेसरी स्कूल एक सेक्योरिटी कम्पनी के माध्यम से ड्राइवर कंडैक्टरों की भर्ती करता है और पूरा वेतन नहीं देता है । स्कूल के संस्थापक जगदीश गॉधी पर बेहद कम वेतन देने का आरोप लगातें हुए ड्राइवरों ने कहा कि प्रत्येक ड्राइवर को 7158 रुपये तथा कंडैक्टर को 5549 रुपये प्रति माह वेतन मिलता है जिससे जीवन यापन करना बहुत ही मुश्किल है । ड्राइवर कंडैक्टरों ने समवेत स्वर से कहा कि जिस सेक्योरिटी कम्पनी के माध्यम से हम लोग नौकरी पर रखे जाते है वह कम्पनी हर साल बदल दी जाती है और ये कम्पनी हमारा आधे से अधिक वेतन स्वयं अपने पास रख लेती है । उन्होनें कहा कि हम लोगों के डबल रजिस्टर बनायें जाते है एक हम लोगों के लिये दूसरा सरकार को दिखाने के लिये ।
सिटी मॉन्टेसरी स्कूल को कर्मचारियों द्वारा विरोध प्रदर्शन करने की खबर लगते ही स्कूल द्वारा वन्दना गौड, लता सक्सेना, मिसेज खत्री, शशि टीजी, सुखलाल, ट्रांसपोर्ट हेड मोहम्मद तलाल व ट्रांसपोर्ट अधिकारी दीपक अग्रवाल को गांधी प्रतिमा भेजा गया जिससे कि इस प्रदर्शन को दबाया जा सके । स्कूल के प्रशासनिक अधिकारियों ने पुलिस से बात करके मामले सुलटाने का पूरा प्रयास किया परंतु कर्मचारियों के आगे उनकीं एक न चली । सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का समर्थन सुनील कुमार तिवारी, राष्ट्रीय संयोजक व प्रवक्ता ड्राइवर कल्याण समिति उ०प्र० ने किया और कहा कि यदि स्कूल ने गरीबों की आवाज़ नहीं सुनी तो प्रदेश का सारा सरकारी ड्राइवर इन कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिला कर संघर्ष करेगा ।
गौरतलब है कि नोबुल पुरस्कार के लिये प्रयासरत सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के संस्थापक जगदीश गॉधी को लखनऊ पुस्तक मेला में शान ए अवध का सम्मान भी मिलने जा रहा है और ऐसी परिस्थितियों में ये सम्मान कितना मान बढ़ायेगा, ये तो आने वाला समय ही बतायेंगा ।