(Pi Bureau)
नई दिल्ली : किसी से बातचीत करनी होती है, तो हमें अपना मुंह चलाना ही पड़ता है और गले से आवाज भी निकालनी होती है, लेकिन एक नई डिवाइस के मुताबिक अब किसी से बात करने के लिए ये दोनों चीजे नहीं करनी पड़ेंगी. मैसचूसिट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (MIT) के एक अनुसंधानकर्ता ने एक ऐसी डिवाइस विकसित की है जिसके जरिए बिना आपके आवाज निकाले दूसरे लोग उन शब्दों को सुन सकेंगे जो उस वक्त आपके दिमाग में चल रहा होगा.
भारतीय-मूल के इस रिसर्चर का नाम अरनव कपूर है, जिन्होंने अल्टरइगो (AlterEgo) नाम का एक हेडसेट बनाया है लेकिन यह कोई डरावना या विचित्र माइंडरीडिंग डिवाइस नहीं है.
MIT मीडिया लैब की वेबसाइट ने इस बात को साफ कर दिया है, ‘यह डिवाइस आपका दिमाग नहीं पढ़ सकती है. इस सिस्टम का आपकी ब्रेन ऐक्टिविटी से कोई सीधा कनेक्शन या शारीरिक जुड़ाव नहीं है और यही वजह है कि यह डिवाइस आपके विचारों को नहीं पढ़ सकती. लिहाजा अपनी प्रिवेसी को लेकर चिंतित रहने वालों को अभी से परेशान होने की जरूरत नहीं है.
AlterEgo, सब्वोकैलिसेशन्स के आधार पर चलता है. हर बार जब भी आप अपने दिमाग में किसी शब्द को कहते हैं तो उस वक्त आपके जबड़े में जो बेहद छोटे और अदृश्य मूवमेंट होते हैं सब्वोकैलिसेशन्स कहते हैं.
जब भी कोई इंसान आंतरिक रूप से कोई शब्द या वाक्य बोलने की कोशिश करता है उस वक्त उसके चेहरे के निचले हिस्से और गर्दन की तरफ स्किन की सतह पर जो इलेक्ट्रिकल संवेग उत्पन्न होता है, हेडसेट की तरह पहना जाने वाला यह डिवाइस उसी संवेग को पढ़ता है.
एक बार जब यह डिवाइस सिग्नल पकड़ लेता है, उसके बाद एक कंप्यूटर जिसे इसी बात के लिए ट्रेन किया गया है कि वह इन सिग्नल्स को शब्दों में बदले, वह काम करना शुरू कर देता है. लेकिन AlterEgo सुनने वाले व्यक्ति को हवा में मौजूद साउंड वेव्स के जरिए साधारण तरीके से शब्द नहीं भेजता.
हवा में साउंड को वाइब्रेट होने के लिए छोड़ने की बजाए, इस वाइब्रेशन को श्रोता के जबड़े तक डायरेक्ट कॉन्टैक्ट के जरिए पहुंचाया जाता है. इस तरह के हेडसेट्स को सालों से कई देशों की सेनाएं इस्तेमाल कर रही हैं और अब कुछ कंपनियां इन्हें लाइफस्टाइल गैजट के रूप में बेचने में लगी हैं.
इस टेक्नॉलजी का फायदा यह है कि इसके जरिए बिना आवाज निकाले वॉयस कम्यूनिकेशन बड़ी आसानी से हो सकेगा. उदाहरण के लिए किसी बेहद शोरगुल से भड़ी फैक्ट्री के फ्लोर पर या एयरक्राफ्ट कैरियर के डेक पर जहां काफी आवाज हो रही होती है वहां चिल्लाए बिना और गले को तकलीफ दिए बिना बड़ी आसानी से बातचीत की जा सकती है.
हालांकि AlterEgo की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि यह डिवाइस कितनी शुद्धता के साथ वाइब्रेशन को शब्दों में ट्रांसलेट कर पाता है. मौजूदा समय में कपूर और उनकी टीम 92% शुद्धता का दावा करती है और इसका प्रदर्शन गूगल के वॉइस ट्रांसक्रिप्शन डिवाइस से कुछ ही कम है.
हालांकि कपूर का दावा है कि यह सिस्टम जैसे-जैसे नए-नए तरीके के वाइब्रेशन्स और शब्दों के संपर्क में आएगा इसका प्रदर्शन और बेहतर हो जाएगा.