(Pi Bureau)
नई दिल्ली : यूएस के द्वारा सीरिया पर मिसाइल दागने के बाद अब तीसरे विश्व युद्ध कि आहट आने लगी है. रूस ने हाल ही में अपने नागरिकों को इसके लिए आगाह भी किया था. तजा कहबर के अनुसार सीरिया कि तरफ रूस के जंगी जहाज बढ़ते हुए देखें गये हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि तीसरा विश्व युद्ध भी हो सकता है.
तीसरे विश्व युद्ध का सवाल इसलिए उठने लगा है, क्योंकि सीरिया में कई देशों की गुटबंदी हिंसक रूप ले रही है. अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने जहां सीरिया पर आरोप लगाया है कि वह केमिकल हथियार का इस्तेमाल कर रहा है, वहीं रूस और सीरिया की सरकार ने अमेरिकी कार्रवाई की निंदा की है. वहीं कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस के युद्धक जहाज सीरिया की ओर बढ़ रहे हैं. डेली मेल पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक रविवार को सीरिया के रास्ते में 2 रूसी युद्धक जहाज मिलिट्री गाड़ियों के साथ स्पॉट किए गए हैं. इनमें टैंक, मिलिट्री ट्रक और हथियारों से लैस नावें थीं. एक जहाज को तुर्की के पास बॉस्फोरस में देखा गया. जहाज की फोटोज को बॉस्फोरस स्थित एक समुद्री पर्यवेक्षक ने ट्विटर पर पोस्ट किया. आइए जानते हैं सीरिया में अब तक क्या-क्या हुआ है जिसकी वजह से आज स्थिति तीसरे विश्व युद्ध की बनने लगी है.
दरअसल, 2011 में जब अरब के कई देशों में जैस्मिन क्रांति शुरू हुई थी तभी सीरिया में भी इसकी शुरुआत हुई थी. लेकिन 7 साल बाद भी सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद की सेना और विद्रोहियों के बीच युद्ध जारी है.
5 लाख लोग अब तक मारे जा चुके हैं और इससे भी कई गुणा ज्यादा लोग शरण लेने के लिए पड़ोस के देशों की ओर पलायन कर चुके हैं. सीरिया के कई शहर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. (सीरिया संकट से बेघर हुई एक बच्ची)
फ्रांस, ब्रिटेन ने अमेरिका के साथ मिलकर सीरिया पर हवाई हमला किया. सऊदी अरब और तुर्की अमेरिका का समर्थन करते दिखे. दूसरी ओर, ईरान और चीन ने अमेरिका की कार्रवाई को दूसरे देश के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप बताया. ईरान इस जंग में रूस और सीरियाई राष्ट्रपति असद के साथ खड़ा हुआ.
ऑस्ट्रेलिया और कनाडा भले ही इस बार की अमेरिकी कार्रवाई में शामिल नहीं थे लेकिन इससे पहले के एक्शन में उन्होंने साथ दिया था. सऊदी अरब असद सरकार और ईरानी हस्तक्षेप के खिलाफ है और आरोप लगते हैं कि विद्रोहियों को काफी हथियार भी सऊदी अरब से ही मिलते हैं.
तबाही और उजड़ती जिंदगियों और आसियानों के बीच आज सीरिया दुनिया की जंग का अखाड़ा बन चुका है. दुनिया की तमाम ताकतें बमबारी का केंद्र सीरिया को बनाए हुए हैं. यूएनएससी जैसी संस्थाएं शांति स्थापाति करने, युद्ध रोकने और जान-माल की क्षति रोकने में नाकाम साबित हुई हैं.
उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया पर हवाई हमले करने के बाद कहा था कि अगर सीरिया आगे भी रासायनिक हथियारों का प्रयोग करता है तो वे दोबारा हमला करेंगे. संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की प्रतिनिधि निकी हेली ने कहा है कि उनकी ट्रंप से बात हुई है और उन्होंने कहा है कि अगर सीरिया जहरीली गैस का इस्तेमाल जारी रखता है तो फिर कार्रवाई की जाएगी.
अमेरिका की ओर से किए गए हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने रूस के उस प्रस्ताव को भारी बहुमत से खारिज कर दिया था जिसमें उसने हमले की निंदा की बात कही थी.
इससे पहले शनिवार की सुबह सीरिया की राजधानी तेज विस्फोटों से दहल उठी थी और आसमान में घना धुआं छा गया. ट्रंप ने इससे पहले घोषणा की थी कि अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने सीरिया में बशर अल असद की सरकार के खिलाफ सैन्य हमले शुरू कर दिए हैं.
ट्रंप ने हमले का आदेश सीरिया में हुए कथित रासायनिक हमलों में करीब 40 लोगों की मौत के बाद दिए. सीरिया की वायु रक्षा सेवा ने अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के इन संयुक्त हमलों का जवाब भी दिया. पूर्वी दमिश्क से धुआं निकलता देखा गया था.