(Pi Bureau)
लखनऊ : शपथ लेने के 15 दिन बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज कैबिनेट बैठक कुछ बड़े फैंसले लेके अपने चुनावी घोषणा पत्र “ लोक कल्याण संकल्प पत्र “ में किये गए वायदों को अब अमली जामा पहनना शुरू कर दिया है. विपक्ष की आलोचना के प्रमुख एजेंडे को ध्वस्त करते हुये आज योगी ने करोडो किसानो के चेहरे पर ख़ुशी ला दी है , और यूपी के करोड़ों किसानों को जिस फैसले का इंतजार था उसकी घोषणा हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में मंगलवार शाम को हुई पहली कैबिनेट बैठक में किसानों के फसली ऋण माफी के फैसले पर मुहर लगा दी गई। इसके तहत सहकारी बैंकों से खेती के लिए लिया गया 1 लाख रुपये तक का लोन माफ होगा। योगी सरकार के इस फैसले से , एक अनुमान के मुताबिक लगभग 2.15 करोड़ किसानों को राहत मिलेगी।
बीजेपी ने चुनाव के दौरान यूपी के अपने संकल्प पत्र में किसानों के कर्ज माफ करने का वादा किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी हर चुनावी रैली में वादा किया था कि यूपी में बीजेपी सरकार आई तो पहली कैबिनेट बैठक में कर्ज माफ करने का फैसला लिया जाएगा।
माना जा रहा है कि पहली कैबिनेट के होने में हुयी देरी की वजह ही कर्ज की माफी के चुनावी वादे को जिम्मेदार माना जा रहा है।
पहली कैबिनेट बैठक में कर्जमाफी के अलावा ऐंटी रोमियो स्क्वॉड, बूचड़खानों पर नियमों को मंजूरी, गेहूं की खरीद और गाजीपुर में अत्याधुनिक मल्टी स्टेडियम निर्माण को लेकर फैसले लिए गए है ।
बताते चले कि योगी सरकार को सबसे ज्यादा मशक्कत किसानों के कर्ज माफ करने के फॉर्म्युले को लेकर करनी पड़ी। अधिकारियों के मुताबिक यूपी में इस वक्त करीब 2 करोड़ 30 लाख किसान हैं। लघु और सीमांत किसानों की संख्या 2.15 करोड़ है। प्राकृतिक आपदाओं जैसी वजहों से ये किसान करीब 62 हजार करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाने में असमर्थ हैं। सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद प्रदेश सरकार पर पहले से ही करीब 25 हजार करोड़ रुपये सालाना अतिरिक्त बोझ भी मौजूदा सरकार के ऊपर है। ऐसी परिस्थिति में सरकार को अपना घोषणा पत्र के वादे को लागू करवाना भी एक टेडी खीर था , पर सरकार ने इक्षाशक्ति दिखाते हुये छोटे और मंझोले किसानो के हक में फैंसला लिया.
प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने बैठक से पहले कहा, ‘निश्चित रूप से यह दिन किसानों के लिए सबसे बड़ा दिन है। योगी आदित्यनाथ की सरकार किसानों के हित में बड़ा फैसला करने जा रही है।’ शाही ने पहले ही कहा था कि इसके लिए विभाग स्तर पर प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। राज्य सरकार ने उन किसानों की पूरी सूची तैयार कर ली है जिन्हें कर्जमाफी का फायदा मिलेगा।
कर्जमाफी के बोझ को एक ही वित्त वर्ष में निपटाना मुश्किल हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक इसी वजह से कैबिनेट मीटिंग में देरी हुई ताकि प्रधानमंत्री के उस चुनावी वादे को पूरा किया जा सके कि ‘पहली कैबिनेट बैठक में ही किसानों के