(Pi Bureau)
नई दिल्ली : स्वीडन के बाद ब्रिटेन दौरे पर गए पीएम मोदी ने कहा है कि उनका मकसद इतिहास में नाम दर्ज कराना नहीं हैं बल्कि उनका मकसद अपने देश को अजर और अमर बनाना है. पीएम मोदी ब्रिटेन में ‘भारत की बात सबके साथ’ कार्यक्रम में शरीक हुए थे. यह कार्यक्रम लंदन के ऐतिहासिक वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हॉल में आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में दुनियाभर के लोगों के सवाल लिए गए. गीतकार पुण्य प्रसून बाजपेयी उनसे सवाल-जवाब किए गए.
पीएम मोदी ने कहा कि हर युग में, हर अवस्था में कुछ न कुछ नया करने का नया पाने का मकसद गति देता है वरना तो जिंदगी रुक जाती है. अगर कोई कहता है कि बेसब्री बुरी चीज है तो मैं कहता हूं कि वह बूढ़ा हो चुके हैं, मेरी दृष्टि में बेसब्री तरुणाई का सपना है. आज सवा सौ करोड़ देशवासियों के दिल में एक उमंग, आशा उभर कर बाहर आ रही है, एक कालखंड था जब हम निराशा में डूब गए थे. आज से 15-20 साल पहले जब आकाल की परिस्थित पैदा होते थे तो गांव के लोग सरकारी दफ्तर में जाकर मेमोरेंडम देते थे और कहते थे कि हमें रोड पर मिट्टी डालने का काम मिल जाए.
प्रसून ने जब सवाल किया कि क्या आप भी कभी बेसब्र होते हैं. इस पर पीएम ने चुटकी लेते हुए कहा कि मुझे पता नहीं था कि कवि के भीतर पत्रकार बैठा है. उन्होंने कहा कि बेसब्री मुझे ऊर्जा देती है. हर शाम दूसरे दिन का सपना लेकर सोता हूं. मैं कभी निराश नहीं होता. मैं हमेशा सकारात्मक सोचता हूं.
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को पूरे देश को आजादी की लड़ाई के लिए जोड़ा. आजादी के बाद सरकार और जनता के बीच दूरी बढ़ी. विकास को जन आंदोलन में तब्दील होना चाहिए. 40 लाख वरिष्ठ नागरिकों ने रेलवे की सब्सिडी छोड़ी. हमारा काम जनता को समझना और उसे जोड़ना है.
सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर उन्होंने कहा हमारे जवानों को टेंट में सोए हुए को कोई बुजदिल आकर मौत के घाट उतार दे क्या आप चाहते हैं कि मैं चुप रहूं, इसलिए सर्जिकल स्ट्राइक किया जो योजना बनी थी उसको शत-प्रतिशत इंप्लीमेंट किया और सूर्योदय होने से पहले सब वापस आ गए.
प्रसून जोशी ने जब पीएम मोदी से पूछा कि क्या आप देश को बदल पाएंगे तब इस सवाल के जवाब में पीएम मोदी ने कहा-मैं मेहनत करता हूं. उन्होंने कहा कि मैंने कभी नहीं कहा कि मैं अकेले देश बदल दूंगा. मैं मानता हूं कि देश में लाखों समस्याएं हैं लेकिन करोड़ों समाधान भी हैं. हर तरह की ठोंकरें खाकर यहां तक पहुंचा हूं. मैंने भी कभी कविता लिखी थी जो लोग मुझे पर पत्थर फेंकते हैं, मैं उससे पथ बना देता हूं. और उस पर ही चल पड़ता हूं.
गीतकार प्रसून जोशी ने जब पीएम मोदी की फकीरी से जुड़ा सवाल पूछा तो पीएम ने कहा कि यह बहुत निजी प्रकृति का प्रश्न है लेकिन सच यह है कि फकीरी मेरे मन से जुड़ा हुआ विषय है. गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान मिलें तोहफों को मैंने कभी अपने पास नहीं रखा. उन्हें एकत्र करके मैंने उनकी नीलामी कराई. 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की नीलामी हुई. उस पैसे को बच्चियों की शिक्षा के लिए दिया. जब मैं प्रधानमंत्री बना तो अफसरों को बुलाया कि मेरी विधायक के रूप में मिली वेतन को गरीब ड्राइवरों के बच्चों की दे दिया जाए.
अथक परिश्रम करने के मुद्दे पर पीएम ने कहा कि अपनों के लिए काम करने से कोई नहीं थकता. मेरी जिंदगी का हर पल देश के लिए है. मेरे लिए देश के सवा सौ करोड़ भारतीय, मेरा परिवार है. मैं नहीं चाहता कि कभी किसी के लिए बोझ बनूं.
पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनिया भारत का लोहा मानने लगी है. आज भारत की हर जगह चर्चा हो रही है. मैंने शुरुआत में ही कहा था कि न हम आंख झुकाकर बात करेंगे. न हम आंख उठाकर करेंगे. हम आंख मिलाकर बात करेंगे. मानवता के काम भारत कभी पीछे नहीं रहा.
आलोचना को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि आलोचना से ही लोकतंत्र चमकता है. आलोचना से ही लोकतंत्र पनपता है. मैं आलोचना का स्वागत करता हूं. लेकिन दुर्भाग्य यह है कि आलोचना की जगह आरोपों ने ले ली है. अगर मैं सुनना ही बंद कर दूंगा तो देश कैसे आगे बढ़ेगा.