(Pi Bureau)
बीमारी एक ऐसी समस्या है जो व्यक्ति को घेरे रहती है. जरा सी लापरवाही की नहीं समझो दुर्घटना घट गई. आजकल लोग एक बहुत ही गंभीर बीमारी से ग्रसित नजर आ रहे हैं और वह बीमारी है स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी. ज्यादातर लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि स्पॉन्डिलाइटिस क्या है? आपको बता दें कि अगर आपको पीठ या गर्दन में जरा सी भी दर्द है तो आप इसको नजरंदाज न करें, जी हाँ यह स्पॉन्डिलाइटिस भी हो सकता है. स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण क्या हैं और इस बीमारी से निजात कैसे मिल सकता है आइये जानते हैं राजधानी लखनऊ के मशहूर होम्योपैथ डॉक्टर संजय कक्कड़ से.
डॉक्टर संजय कक्कड़ के अनुसार यह बीमारी रीढ़ की हड्डी में पनपती है. गर्दन से लेकर कूल्हे तक यह रीढ़ के किसी भी हिस्से को अपनी चपेट में ले सकती है. डॉक्टर कक्कड़ के अनुसार लोग अपनी रीढ़ की हड्डी को लेकर जरा सा भी ध्यान नहीं देते हैं, जबकि उन्हें पता होना चाहिए कि पूरा शरीर ही रीढ़ कि हड्डी पर टिका होता है. लोगों को ध्यान देना चाहिए कि वह अपनी रीढ़ की हड्डी को मजबूत रखें क्योंकि अगर रीढ़ कि हड्डी मजबूत है तभी आप भी मजबूत रहेंगे. रीढ़ की हड्डी के सहारे ही हम खड़े हो पाते हैं, अगर यही कमजोर हो गई तो हम खड़े ही नहीं पाएंगे.
डॉक्टर कक्कड़ के अनुसार हमारी कमर से लेकर टेल तक रीढ़ में पांच हड्डियाँ होती हैं, जिन्हें हम लंबर स्पाइन कहते हैं. लंबर स्पाइन के सहारे ही हमारे पेट के सभी ओर्गंस टिके होते हैं. रीढ़ की इन पांच हड्डियों को L1, L2, L3, L4, L5 कहते हैं. इसमें जो L2 है इसमें अगर कोई समस्या बनी तो फिर हम खड़े नहीं हो पाएंगे. अगर इसमें लापरवाही की तो फिर यह हड्डी डैमेज हो सकती है. अक्सर देखा जाता है कि इस हड्डी में इन्फेक्शन आने पर बोन टीबी का रूप ले लेता है. तो रीढ़ के किसी भी हिस्से में दर्द हो तो उसे नजर अंदाज नहीं करना चाहिए, तुरंत चिकित्सक के पास जाना चाहिए.
डॉक्टर संजय कक्कड़ बहुत ही सरल भाषा में समझाते हुए कहते हैं कि जिसके पास जिम्मेदारी ज्यादा होती है वह अपने आप को चेंज करके दूसरे को सपोर्ट करता है. कहने का मतलब है कि रीढ़ की हड्डी पर पूरी बॉडी का भार टिका होता है. बॉडी को शेप देने के लिए रीढ़ की हड्डी अपने आप को चेंज करती है और जब रीढ़ की हाड्डी में चेंज आता है तब यह स्पॉन्डिलाइटिस का रूप लेता है.
स्पॉन्डिलाइटिस विटामिन की कमी और कैल्शियम की कमी से होता है, लेकिन सबसे ज्यादा यह तब होता है जब हम रीढ़ कि हड्डी को लेकर मिस मैनेज होते हैं. डॉक्टर संजय कक्कड़ कहते हैं कि इस बीमारी का इलाज मेडिसिन से ज्यादा मैनेजमेंट से होता है. मैनेजमेंट मतलब हमारे चलने का ढंग (गर्दन को झुका कर न चलें, हमारे बैठने का ढंग (झुककर न बैठें..स्ट्रेट बैठें). अगर रीढ़ की हड्डी के शेप में चेंज आ गया है तो हम इसको बेल्ट, एक्सरसाइज, थैरेपी, आदि उपायों से दूर कर सकते हैं.