(Pi Bureau) चंडीगढ़ । पंजाब कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू से जुड़े 1988 रोडरेज के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उन्हें 30 साल बाद बरी कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की 3 साल की सजा को किया खारिज करते हुए सिद्धू की अपील को मंजूर किया। कोर्ट ने धारा-323 के तहत सिद्धू को दोषी करार देते हुए एक हजार के जुर्माना पर रिहा करने के आदेश दिए। नवजोत सिंह सिद्धू और उनके एक साथी रुपिंदर सिंह संधू पर सड़़क पर एक युवक के साथ मारपीट का आरोप है, जिसकी बाद में मौत हो गई थी।
स्मरण रहे कि नवजोत सिंह और रुपिंदर सिंह ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने नवजोत सिंह को तीन साल की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ इन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी, सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को इनकी याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जज चेलेमेश्वर और संजय किशन कौल की खंडपीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी।
इसके बाद निचली अदालत ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते हुए साल 1999 में बरी कर दिया था। लेकिन पीड़ित पक्ष निचली अदालत के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया। साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू की याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले महीने फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिस पर मंगलवार को फैसला सुनाया जाएगा।
क्या है मामला
मामला साल 1998 का है। सिद्धू का पटियाला में कार से जाते समय गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था।