(Pi Bureau)
पटना। बिहार से एक दिल को दहला देने वाली और मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आ रही है। राज्य में दलितों पर अत्याचार का ऐसा मामला सामने आया है जिसने सरकार और विपक्ष दोनों को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है।
दिन-दहाड़े वैशाली जिले के राघोपुर में दलितों के आशियाने जला दिए गए लेकिन न तो सरकार और न ही विपक्ष का कोई नुमाइंदा दलितों का हाल जानने पहुंचा।
इसकी बड़ी वजह है वोटबैंक की पॉलिटिक्स, क्योंकि आरोप एक जाति विशेष के लोगों पर लगा है और कोई भी पार्टी इस मामले में पड़कर अपना वोटबैंक नहीं गंवाना चाहती है। बता दे कि राघोपुर आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का विधानसभा क्षेत्र है।
गौरतलब है कि राघोपुर विधानसभा क्षेत्र के मलिकपुर गांव में यादव जाति के लोगों ने दलितों के करीब 20 घर और दुकानों को आग के हवाले कर दिया। इस आगजनी में घर का सारा सामान जलकर खाक हो गया। पीड़ितों के सामने खाने-पीने और रहने की समस्या खड़ी हो गई है।
दोनों जातियों के बीच लंबे समय से जमीन विवाद चल रहा था। दलितों का आरोप है कि जमीनी विवाद सुलझाने आई पुलिस ने दूसरे पक्ष का साथ देकर दलितों के साथ मारपीट की और उसके बाद करीब 500 की संख्या में यादव समुदाय के लोगों ने दलितों के घर पर हमला कर दिया और पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी।
इतना ही नहीं दलित किसान प्रेम भगत का आरोप है कि दलित महिलाओं के साथ छेड़छाड़ भी की गई। उन्हें सबसे ज्याद तकलीफ तेजस्वी यादव से है जो घटना के दो दिन बाद अपनी विधानसभा क्षेत्र में ही थे लेकिन वह घटनास्थल पर नहीं आए।
बिहार के उप-मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने कहा कि दलितों पर हमला करने वालों को आरजेडी का संरक्षण मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि दबंगों ने मारपीट की, हमने एसपी से बात की है। जिसपर एसपी ने तेजी से कार्रवाई की बात कही है।