पीएम मोदी सरकार की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने वाली मुहिम को लगा झटका!

(Pi Bureau) नई दिल्ली। मोदी सरकार की अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने की मुहिम को लगा झटका, 19.3 लाख करोड़ रुपये की नगदी चलन में मोदी सरकार का अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने का सपना पूरा होता नही दिख रहा है।

देश में इस समय जनता के हाथ में नकदी का स्तर 19.3 लाख करोड़ रुपए से भी ऊपर पहुंच गया है। यह अब तक का अधिकतम स्तर है।  नोटबंदी से पहले 5 जनवरी 2016 को यह राशि 17 लाख करोड़ रुपये थी।

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है। नोटबंदी के दौर की बात करें तो उस दौरान जनता के हाथ में नकदी सिमट कर करीब 7.8 लाख करोड़ रुपये रह गई थी।

नोटबंदी के दो उद्देश्य थे, पहला कालेधन को खत्म करना और दूसरा कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर कदम बढ़ाना। पहले उद्देश्य की हवा उसी वक्त निकल गई थी जब आरबीआई ने 99 फीसदी नोटों के सिस्टम में वापस आने की पुष्टि की थी। वहीं हालिया जानकारी से यह भी साबित हो गया कि नोटबंदी का दूसरा उद्देश्य भी फेल हो गया है। नोटबंदी के बाद से यदि तुलना की जाए तो यह दोगुने से भी ज्यादा है।

आरबीआई के मुताबिक, इस समय चलन में कुल नकदी 19.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक है जबकि नोटबंदी के बाद यह आंकड़ा लगभग 8.9 लाख करोड़ रुपये था। चलन में मौजूद कुल मुद्रा में से बैंकों के पास पड़ी नकदी को घटा देने पर पता चलता है कि चलन में कितनी मुद्रा लोगों के हाथ में है।

 

 

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