इस साल के अंत तक भारत के सरकारी बैंकों की विदेशों में मौजूद कुल 216 शाखाओं में से 70 शाखाएं बंद होने जा रही हैं। यानी कि विदेशों में भारतीय बैंकों पर ताले लटक जाएंगे। यही नहीं इन 70 शाखाओं के अलावा विदेशों में इन बैंकों की दूसरी सेवाएं भी बंद किए जाने की योजना बनाई गई है।
क्यों उठाया जा रहा यह कदम
वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि विदेशों में बंद की जा रही शाखाओं में भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, आई.डी.बी.आई. बैंक और बैंक ऑफ इंडिया विदेशों की अपनी शाखाओं में भी भारी कटौती करने की योजना बना रहे हैं। बैंक यह कदम खर्चों को कम करने और पूंजी बचाने के लिए कर रहे हैं। खाड़ी के देशों में भी ये बैंक उन ब्रांचों को बंद करेंगे जिनसे पर्याप्त राजस्व हासिल नहीं हो रहा है। अधिकारी ने बताया कि इन बैंकों की ब्रांचों ने अपनी गैर-मूल सम्पत्तियां बेचनी शुरू कर दी हैं। इसके साथ ही इन ब्रांच को कहा गया है कि अपने खर्चों को कम करें। अधिकारी ने बताया कि बंद की जा रही ब्रांचें पूरी तरह से काम कर रही थीं। इन ब्रांचों में बैंक, रिप्रैजैंटेटिव ऑफिस और रेमिटेंस ऑफिस भी हैं।
SBI 9 और परिचालनों को करेगा बंद
एस.बी.आई. ने 6 विदेशी शाखाएं बंद कर दी हैं जबकि श्रीलंका और फ्रांस में कुछ शाखाओं को प्रतिनिधि कार्यालयों में परिवर्तित किया जा रहा है। देश का सबसे बड़ा ऋणदाता 9 और परिचालनों को बंद करने की योजना बना रहा है।
बैंक छोटी शाखाओं में बड़े पैमाने पर कर रहे विलय
कुछ बैंक दुबई, शंघाई, जेद्दाह और हांगकांग में अपने परिचालन बंद कर चुके हैं। बैंक छोटी शाखाओं में बड़े पैमाने पर विलय कर रहे हैं और विदेशी संयुक्त उद्यम में इक्विटी हिस्सेदारी को मजबूत कर रहे हैं। पिछले साल घोषित बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपए के पूंजी निवेश के हिस्से के रूप में सरकार ने उन्हें अन्य उपायों की शृंखला के बीच विदेशी शाखा संचालन को तर्कसंगत बनाने के लिए कहा था।