क्या अमरीकी कार्यवाही से पाकिस्तान कोई सबक लेगा?

(Pi Bureau)

 

यह बात अलग है कि हमारे कश्मीर में अलगाववादी सुरक्षा बलों पर पत्थर फैंकने की हिम्मत रखते हैं। गंभीर बात तो यह है कि हमारे देश में अलगाववादियों के भी हिमायती है जबकि डोनाल्ड ट्रंप के साथ पूरा अमरीका एकजुट है।

अमरीका ने उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक को सख्त संदेश देने के लिए इतना बड़ा बम गिराया। लेकिन बम गिराने के पीछे अमरीका का मकसद पाकिस्तान को भी संदेश देना है। अचिन जिले के जिस स्थान पर बम गिराया, वह अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर है।

अमरीका का मानना है कि आईएस के आतंकी ऐसी सुरंगों के माध्यम से ही अफगानिस्तान और पाकिस्तान में मजे करते हैं। आईएस का दम निकालने के लिए जब अफगानिस्तान पर इतना बड़ा बम गिराया जा सकता है तो फिर पाकिस्तान पर भी ऐसी कार्यवाही हो सकती है।

भारत के कश्मीर में जो हालात बिगड़े हैं, उसके पीछे भी पाकिस्तान का हाथ है। पाकिस्तान स्वयं भी आईएस के आतंक से पीडि़त है। अमरीका ने पाकिस्तान के शासकों को भी संकेत दिया है कि अब पाकिस्तान में रह रहे आतंकियों के खिलाफ भी कार्यवाही हो सकती है।

10 हजार किलो वजन का बम गिराकर अमरीका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपना सख्त रूख जाहिर कर दिया है। इस बम के बाद परमाणु बम का ही नंबर आता है। इसीलिए मीडिया में कहा जा रहा है कि यह गैर परमाणु बम है। यानि अफगानिस्तान पर गिरे बम की तुलना परमाणु बम से की जा रही है। इसे अंतर्राष्ट्रीय आतंक का एक संयोग ही कहा जाएगा कि जहां सीरिया में आईएस के आतंकियों को मारने के लिए रूस रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है, वहीं अफगानिस्तान में अमरीका 10 हजार किलो का बम गिरा रहा है। देखना है कि बमों की वर्षा के बाद भी सीरिया, अफगानिस्तान आदि में शांति हो पाती है या नही?

 

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