भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आज मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा, जिसके बाद अनुमान है कि लोन लेना और महंगा हो जाएगा। आरबीआई रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है, जिससे यह 6.50 फीसदी होने की उम्मीद है।
बैंक बढ़ा देंगे ब्याज दरें
अगर आरबीआई रेपो रेट में बदलाव करता है तो इसका असर तुरंत देखने को मिलेगा, क्योंकि बैंक सभी प्रकार के लोन पर ब्याज दरों को बढ़ा देंगे। खुदरा महंगाई दर के मई में चार महीने के ऊपरी स्तर 4.87 फीसदी पर पहुंचने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अगस्त में अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में फिर एक बार मुख्य ब्याज दर में वृद्धि करने को बाध्य हो सकता है। यह बात विभिन्न विश्लेषकों ने कही।
यह है अनुमान
कई आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों ने माना है कि महंगाई दर और डॉलर के मुकाबले गिरते रुपये को काबू में रखने के लिए आरबीआई 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी करने को बाध्य होगा। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने कहा था कि मुख्य ब्याज दर बढ़ने से कारोबार करने की लागत बढ़ेगी और देश के कारोबारी निवेश की गति घटाने को बाध्य होंगे, जो कि विकास को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है।
फ्रांस की ब्रोकरेज कंपनी बीएनपी पारिबा की एक रिपोर्ट में विश्लेषकों ने कहा है कि आगामी महीनों में विभिन्न कारणों से मुख्य क्षेत्रों की महंगाई और खुदरा महंगाई बढ़ने का अंदेशा है और हमारा मानना है कि आरबीआई एक बार और मुख्य ब्याज दर में 0.25 फीसदी बढ़ोतरी कर सकता है।
यूबीएस सिक्योरिटीज ने भी कहा कि अगस्त में दर में वृद्धि की जा सकती है। यदि कच्चे तेल की कीमत मौजूदा स्तर पर बनी रहती है और मुख्य क्षेत्रों की महंगाई ऊपर की ओर बनी रहती है, तो अगली दर वृद्धि अगस्त में ही हो सकती है।
कितनी बढ़ेगी ईएमआई
अगर अभी ब्याज दर 10 फीसदी है तो 20 साल के लिए 20 लाख रुपये के होम लोन पर 19300 रुपये की ईएमआई बनती है। अगर रेपो दर में बढ़ोतरी के बाद बैंक चौथाई फीसदी ब्याज दर बढ़ाते हैं तो 10.25 फीसदी के ब्याज दर पर ईएमआई बढ़कर 19633 रुपये हो जाएगी यानी हर महीने 333 रुपये का बोझ बढ़ेगा।
महंगाई बढ़ने की आशंका
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही के दौरान खुदरा मूल्य पर आधारित महंगाई की दर के 4.8 से 4.9 फीसदी के बीच रहने की संभावना जताई है। चालू वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान इसके 4.7 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया गया है। इससे पूर्व के अनुमान में पहली छमाही 4.7-5.1 फीसदी और दूसरी छमाही में 4.4 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था।
विकास दर अनुमान यथावत
केन्द्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अर्थव्यवस्था विकास दर के अनुमान को 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा है। इस वर्ष पहली छमाही –अप्रैल-सितंबर– के बीच 7.5-7.6 फीसदी की विकास दर रहने का अनुमान है, जबकि दूसरी छमाही के दौरान 7.3-7.4 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है।
रेपो रेट क्या है
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं। जब भी बैंकों के पास कोष की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक से पैसे लेते हैं। रिजर्व बैंक की तरफ से दिया जाने वाला यह कर्ज जिस दर पर मिलता है, वही रेपो रेट कहलाता है। इसे हमेशा से रिजर्व बैंक ही तय करता है। रेपो रेट में कटौती या बढ़ोतरी करने का फैसला मौजूदा और भविष्य में अर्थव्यवस्था के संभावित हालात के आधार पर लिया जाता है।