केंद्र सरकार देश में बिजली की कीमतें घटाने और इसमें एकरूपता लाने की दिशा में काम कर रही है, जिसके लिए उसकी थर्मल ऊर्जा उत्पादन तथा शेड्यूलिंग के नियमों में ढील देने की योजना है। ऊर्जा मंत्रालय ने जुलाई में इस पर मेरिट ऑर्डर जारी कर सभी पक्षों से राय मांगी थी, जिस पर उसे सकारात्मक रुख मिला है।
देश में थर्मल ऊर्जा उत्पादन 344 गीगावाट और अक्षय ऊर्जा क्षमता 70 गीगावाट है। इसमें अधिकतम मांग वाले समय में उपलब्धता 173 गीगावाट रहती है। ऊर्जा खरीद समझौता नहीं होने के कारण एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति संभव नहीं हो पाती है। ऐसे में महंगी बिजली खरीदनी पड़ती है, जिसका सीधा असर उपभोक्ता पर भी पड़ता है। सभी पक्षों का रुख सकारात्मक
महंगी बिजली का हल निकालने की दिशा में ऊर्जा मंत्रालय ने 17 जुलाई को जारी किए गए मेरिट ऑर्डर पर एक अगस्त तक सीईआरसी, सीईए और राज्यों के ऊर्जा सचिवों से राय मांगी थी। इसमें थर्मल ऊर्जा उत्पादन तथा शेड्यूलिंग के नियमों में ढील देने को लेकर ज्यादातर ने सकारात्मक पक्ष पेश किया। जवाब सकारात्मक होने की वजह बिजली कंपनियों की लागत में कमी और एकरूपता बताई जा रही है। सरकार इस व्यवस्था को ट्रायल के आधार पर एक साल के लिए लागू कर सकती है, उसके बाद पुनर्विचार कर आगे कदम बढ़ाएगी।
महंगी बिजली का हल निकालने की दिशा में ऊर्जा मंत्रालय ने 17 जुलाई को जारी किए गए मेरिट ऑर्डर पर एक अगस्त तक सीईआरसी, सीईए और राज्यों के ऊर्जा सचिवों से राय मांगी थी। इसमें थर्मल ऊर्जा उत्पादन तथा शेड्यूलिंग के नियमों में ढील देने को लेकर ज्यादातर ने सकारात्मक पक्ष पेश किया। जवाब सकारात्मक होने की वजह बिजली कंपनियों की लागत में कमी और एकरूपता बताई जा रही है। सरकार इस व्यवस्था को ट्रायल के आधार पर एक साल के लिए लागू कर सकती है, उसके बाद पुनर्विचार कर आगे कदम बढ़ाएगी।