दिल्ली सरकार ने दिल्ली में विकास की रफ़्तार को तेज करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। दिल्ली सरकार ने अपने विधायकों को उनके छेत्र के विकास के लिए मिलने वाली राशि को 4 करोड़ रुपये सालाना से बढ़ा कर 10 करोड़ रुपये सालाना कर दिया है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली विधानसभा की कैबिनेट की बैठक के दौरान सभी विधायकों ने मांग की थी कि विकास निधि को बढ़ाया जाये।
सिसोदिया ने यह भी बताया कि कैबिनेट ने दिल्ली में कई भारतीय भाषाओं जैसे कश्मीरी, तेलुगु, मलयालम, गुजराती समेत अन्य भाषाओं की अकादमी के अलावा विदेशी भाषा अकादमी स्थापित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। सिसोदिया के मुताबिक यह जनता के पैसे और कामकाज के विकेन्द्रीकरण का एक बड़ा उदाहरण है। दिल्ली सरकार पहली सरकार है जो निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए अलग-अलग दलों के विधायकों के साथ मिलकर काम कर रही है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों से केजरीवाल सरकार दिल्ली में विकास की रफ़्तार बढ़ने के लिए कई प्रयास कर रही है। अब देखना ये होगा की सरकार द्वारा विकास के लिए विधायकों को मिलने वाली ये राशि क्या वाकई विकास लाएगी या फिर भ्रष्टाचार के हत्थे चढ़ जाएगी।