कश्मीर में पत्थरबाज़ी की काट के लिए चलेगी प्लास्टिक बुलेट !!!

(Pi Bureau)

 

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में उपद्रवियों  और सेना सहित अर्धसैनिको पर पत्थर फेंकने वाले युवको पर अब अत्याधुनिक प्लास्टिक बुलेट का इस्तेमाल होगा। केंद्र सरकार की ओर से 1000 प्लास्टिक बुलेट उपद्रव ग्रस्त कश्मीर घाटी में भेजी जा चुकी है। सुरक्षा बालो को ताकीद किया गया है कि वोह प्लास्टिक बुलेट का इस्तेमाल ही करे , स्थिति ज्यादा बिगड़ने पर ही पैलेट गन का इस्तेमाल हो । जब भीड़ प्लास्टिक बुलेट से काबू में न आए तो पैलेट गन आखिरी विकल्प के रूप में इस्तेमाल करना होगा। उक्त आदेश केंद्र सरकार ने दिए है

 

घाटी में पत्थरबाजों और उपद्रवियों से निपटने के लिए सुरक्षाबल पहली बार प्लास्टिक बुलेट का इस्तेमाल करेंगे। जब सुरक्षाबलों को लगेगा कि अब हालात बहुत ज्यादा बिगड़ गए हैं तो वह पैलेट गन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

 

गौरतलब है कि पैलेट गन के प्रयोग से आंखों की रोशनी जाने की कई वारदाते सामने आने के बाद जम्मू कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वो उग्र प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए जल्द ही एक सीक्रेट वेपन का इस्तेमान करने वाली है। इसके साथ साथ तमाम मानवाधिकार संगठनो ने भी पैलेट गन के इस्तेमाल की मुखालफत की थी

 

 

 

 

पैलेट गन के मुकाबले प्लास्टिक बुलेट से नुक़सान कम होता है और उसे इंसास राइफ़ल से भी शूट किया जा सकता है। पिछले दिनों ऐसे कई मामले सामने आये है जब घाटी में आतंकवादी भीड़ का सहारा लेकर सुरक्षा बलों को चकमा देने में कामयाब हुये है

 

कश्मीर में पोस्टर बॉय बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से पैलेट गन के प्रयोग से 11 लोग मारे गए और 235 घायल हुए थे। इसके बाद केंद्र ने घाटी में पावा शेल भेजे थे। इसका इस्तेमाल सामने वाले व्यक्ति के शरीर में जलन पैदा कर देता है और वह कुछ न कर पाने की हालत में पहुंच जाता है। पावा शेल्स से ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचता। इसके अलावा बीएसएफ की टीयर स्मोक यूनिट (टीएसयू) द्वारा बनाया गया ‘स्टन ग्रेनेड’ भी एक विकल्प है जो घाटी में इस्तेमाल हो  रहा है। यह टारगेट को बेहोश कर देता है और कुछ मिनट के लिए अंधा कर देता है।

 

पैलेट गन को लेकर मानवाधिकार संगठन हमलावर है। सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र से इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा था। सरकार ने पैलेट गन का विकल्प ढूंढने के लिए एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को पैलेट गन को आखिरी विकल्प बताया था।

 

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