उत्तराखंड कुमाऊ में अटल ने कमल खिलाने में निभाई अहम भूमिका

हल्‍द्वानी, नैनीताल: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कुमाऊं में भी कमल खिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भाजपा के विधिवत गठन के बाद वह पूरे देश के भ्रमण दौरान वर्ष 1982 में अल्मोड़ा पहुंचे थे। पांच दिन के भ्रमण के दौरान सोबन सिंह जीना के आवास पर रूके। राजनीतिक संपर्क करने के साथ ही उन्होंने कई सभाओं के जरिये ऊर्जा का संचार किया था। उनकी इस राजनीतिक यात्रा के बारे में तत्कालीन जिला मंत्री रहे पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री बची सिंह रावत बचदा ने उनसे जुड़ी कई बातें साझा की और कहा कि उनका जाना देश की राजनीति के लिए बड़ी क्षति है।

अयोध्या के मामले में दी थी संयम बरतने की सलाह

अपने राजनीतिक कॅरियर की ऊंचाइयों को छूने के दौरान बची सिंह रावत बचदा वर्ष 1992 का जिक्र करते हैं, वह मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के साथ लखनऊ कार्यालय में थे। तब वह राजस्व मंत्री थे और अटल जी ने कहा था, फिलहाल संयम बरतने की जरूरत है, लेकिन हर तरह के संघर्ष के लिए तैयार रहने के लिए भी चेताया। वह कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ ही अच्छे मार्गदर्शक भी रहे।

तब मुझे बिना सिफारिश के बना दिया मंत्री 

अटल जी के जाने से दुखी हुए बचदा कहते हैं, मैं वर्ष 1999 में तीसरी बार सांसद बना था। मुझे मंत्री बनाए जाने की कोई जानकारी नहीं थी। मेरे आवास के लैंडलाइन नंबर पर फोन आया। तब फोन मैंने रिसीव नहंी किया था। बाद में फिर फोन आया और कहा गया कि आपको शपथ ग्रहण में आना है। अटल जी के लिए बचदा कहते हैं, मुझे बिना सिफारिश के मंत्री बनाया गया। रक्षा राज्य मंत्री के बाद विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी जैसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली। अटल जी मेरे संसदीय कार्य की बहुत प्रशंसा किए करते थे। राज्य में हार के बाद भी जब मैं प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने गया, तो उन्होंने स्वीकार नहीं किया।

राज्य बनाने के लिए पूरा किया अपना कमिटमेंट 

बचदा कहते हैं, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए पहले ही कमिटमेंट किया था, लेकिन जब वह प्रधानमंत्री बने तो राज्य भी बनवा दिया। वह इरादों के पक्के थे।

About Politics Insight