कश्मीर में गठबंधन खतरे में जानिये कैसे ???

(Pi Bureau)

 

कश्मीर में तेजी से बिगड़ते हालात , बढ़ते आतंकवाद , सुरक्षा एजेंसियों पर हमले , भीड़ द्वारा पत्थरबाज़ी करके आताकियो को बगाने में मदद देना , और हालिया दिनों में नेशनल कांफ्रेंस की जीत और कम वोटिंग के चलते , कश्मीर 2 साला पहले सत्ता में आया गठबंधन फिलहाल निजी और सार्वजनिक रूप से एक दुसरे के ऊपर दोषारोपण कर रहा है । घाटी में पत्थरबाजों और हिंसक भीड़ से निपटने का तरीका दोनों ही ओर से हो रही बयानबाजी का केंद्र है। पीडीपी का कहना है कि भाजपा की सियासत ‘कश्मीर बैशिंग ‘ वहीँ दूसरी तरफ भाजपा का कहना है कि पीडीपी ‘तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है। बीजेपी मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से लगातार कहती रही है कि वह पत्थरबाजों के खिलाफ सख्य कार्रवाई करें और नैशनल कॉन्फ्रेंस की राजनीति के दबाव में ना आएं।

 

वही कश्मीर में लगे सेना के जवां और उनके अफसरान कहते है कि दोनों सियासी दलों की सोच एक दम विपरीत है जिसके चलते सुरक्षा तंत्र तबाह हो रहा और उसकी कीमत हमारे जवान चूका रहे है । एक सीनियर अधिकारी ने नाम ना जाहिर करने की शर्त पर बताया, ‘जब हम पत्थरबाजों को गिरफ्तार करते हैं तो हमें उन्हें छोड़ने के लिए राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उनमें से कई पीडीपी और नैशनल कॉन्फ्रेंस से होते हैं। दोनों ही पार्टियां कानून-व्यवस्था को कमजोर करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करती हैं।’

दो साल पहले जब भाजपा और पीडीपी ने गठबंधन करके सरकार बनायीं तब लग रहा था कि कश्मीर की समस्या का समाधान शायद निकल आये , एक समय मुख्यमंत्री महबूबा के मरहूम वालिद साहेब ने कहा था कि यह ‘कश्मीर की जनता और शेष भारत’ के बीच हुआ गठबंधन है । उस वक़्त यह कहा जा रहा था देश ने प्रचंड बहुमत देकर नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया है , और इस गठबंधन बनने से देश के अन्य हिस्से के लोग कश्मीर की समस्या को समझ सकेंगे और उनके साथ नजदीकियां बढ़ाएंगे ।

पीडीपी के एक नेता ने बताया, ‘यह दो विरोधी पार्टियों के बीच हुई एक असंगत सत्ता के लिए साझेदारी थी। बीजेपी आरएसएस की राजनीतिक विंग है जिसका असल मकसद धर्मनिरपेक्ष भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाना है।’ पीडीपी कश्मीर के मौजूदा हालात के लिए बीजेपी को जिम्मेदार बताती है। उसका कहना है कि बीजेपी ने  अलगाववादियों और पाकिस्तान से राजनीतिक बातचीत खत्म करने के फैसले और घाटी के लोगों को विश्वास में नहीं लेने की वजह से हालात बिगड़ गए।

बताते चले इस वक़्त दोनों ही दलों के सम्बन्ध बहुत खराब हो चले है , एक तरफ जहाँ भाजपा के लोग पत्थर बाजों पर सीधे गोली चलने की बात कररहे है वही पत्थरबाजों के साथ कश्मीर का अवाम एक साथ खड़ा है । हाल में ही सेना ने चुनाव के समय खुद को पत्थर बाजों से बचने के लिए एक मासूम कश्मीरी को रस्सियों में जकड कर जीप के बोनट पर बैठा कर घुमाया था , जिसकी काफी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजामत हुयी थी , पर आरएसएस प्रवक्ता और बीजेपी प्रवक्ता राम माधव ने इसकी वकालत की थी  ।

 

 

बताते चले इस गतिरोध के चलते अभी कश्मीर के एक मंत्री ने जम्मू स्थित भाजपा दफ्तर में राम माधव से मुलाकात भी की थी , ताकि मौजूदा संकर का हल निकाला जा सके ।

 

उधर नैशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस दोनों ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की बात कह रही हैं। राज्य में कांग्रेस के अध्यक्ष जीए मीर ने कहा, ‘राज्य में पूरी तरह अराजतकता फैली हुई है। पीडीपी-बीजेपी ने राज्य को 1990 के दशक के दौर में पहुंचा दिया है जब कश्मीर ने आतंकवाद का सबसे बुरा दौर देखा था।’

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