कम से कम 30 बिजली कंपनियों के खिलाफ जल्दी ही दिवालिया कार्रवाई हो सकती है। रिजर्व बैंक के आदेश से राहत के लिए निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी लेकिन कोर्ट ने सोमवार को अंतिम राहत देने से मना कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बैंक चाहे तो इनके खिलाफ इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। सरकार ने भी पहले रिजर्व बैंक से दिवालिया कार्रवाई के आदेश पर दोबारा विचार का आग्रह किया था लेकिन केंद्रीय बैंक मना कर चुका है।
आरबीआई ने फंसे कर्ज के जल्दी समाधान के लिए 12 फरवरी को एक सर्कुलर जारी किया था।इसके मुताबिक एक दिन का भी डिफॉल्ट होने पर बैंकों को रिजॉल्यूशन प्लान पर काम करना था। 2000 करोड़ रुपए से ज्यादा रिजॉल्यूशन के लिए बैंकों को 180 दिनों का समय दिया गया था। पहली मार्च से 180 दिनों का समय 27 अगस्त को पूरा हो गया है।
लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अब साफ कर दिया है कि इन बिजली कंपनियों को आरबीआई के नियम से अलग नहीं रखा जा सकता लेकिन उसने सरकार से कहा है कि वह आरबीआई एक्ट की धारा 7 के तहत आरबीआई से बात कर सकती है। यानी केंद्र चाहे तो विशेष निर्देश दे सकता है। इस मामले में केंद्र सरकार पहले ही कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में विशेष समित गठित कर चुकी है। कोर्ट ने समिति को कहा है कि वह दो माह यानी 60 दिनों में इस बारे में फैसला करे। इस तरह से देखा जाए तो सरकार, आरबीआई व बैंकों के पास 60 दिनों का समय है जिसमें वे बिजली कंपनियों पर बकाया कर्ज की वसूली को लेकर बीच का रास्ता निकाल सकते हैं।