रिवर फ्रंट की फिजूलखर्ची का नमूना, कई तटो बंधो और परियोजनाओ पर तेजी से काम करने के आदेश !!!

(Pi Bureau)

 

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कल कल सिंचाई विभाग के अफसरों की जम कर क्लास लगायी और परियोजनाओं में देरी और बढ़ती लागत पर खासी नाराजगी जताई है। उन्होंने इन परियोजनाओं में हुई देरी और लागत की उच्चस्तरीय समीक्षा कराने के आदेश दिए हैं। उन्होंने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव सिंचाई, प्रमुख सचिव और प्रमुख सचिव नियोजन को इन परियोजनाओं की समीक्षा कर नए सिरे से इनकी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं।

उन्होंने सिंचाई विभाग के प्रजेंटेशन के दौरान सीएम ने गोमती रिवर फ्रंट को लेटलतीफी और फिजूलखर्च का सबसे बड़ा नमूना बताया।

 

उन्होंने कहा कि गोमती नदी का चैनलाइजेशन भी परियोजना का हिस्सा है। इस बारे में जांच चल रही है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। योगी ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत मध्य गंगा नहर परियोजना के दूसरे चरण में हो रही देरी और बढ़ती लागत पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि 2008-09 से शुरू हुई इस योजना फिजिकल डिवेलपमेंट अब तक 38 प्रतिशत है। इसके साथ ही उन्होंने नाबार्ड पोषित कनहर सिंचाई परियोजना और सरयू नहर परियोजना में देरी और लागत बढ़ने पर असंतोष जताया।

 

योगी ने वरुणा नदी के चैनलाइजेशन और तटों के विकास को 2018 तक पूरा करने के निर्देश दिए। वृंदावन में यमुना के घाटों के विस्तार और सौंदर्यीकरण योजनाओं के बाबत सीएम ने निर्देश दिए कि इन्हें पर्यावरण के अनुकूल बनाया जाए। उन्होंने बुन्देलखण्ड में अर्जुन सहायक नहर परियोजना, एरच बहुउद्देशीय बांध परियोजना, भौंरट बांध परियोजना, जमरार बांध परियोजना, कचनौदा बांध परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। बाण सागर नहर परियोजना, विन्ध्याचल को भी पूर्ण करने के निर्देश दिए।

 

सीएम ने दो साल में 2000 राजकीय नलकूपों का निर्माण के लिए जनप्रतिनिधियों से समन्वय कर स्थान चयन करने के निर्देश दिए। बुन्देलखंड में पानी की समस्या के समाधान के लिए राष्ट्रीय जल प्राधिकरण, भारत सरकार की केन बेतवा लिंक नहर परियोजना का निर्माण प्राथमिकता पर किया जाए। उन्होंने बाढ़ नियंत्रण के लिए तटबंधों के निर्माण का काम समय रहते पूरा करने के निर्देश दिए। बैठक में डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा और कई मंत्री व अधिकारी मौजूद थे।

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