(Pi Bureau)
लखनऊ : इस कानून के तहत सिर्फ रियल एस्टेट कंपनियों को ही नहीं बल्कि बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले रियल एस्टेट एजेंट को भी अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इन रियल एस्टेट एजेंटस को एक तय फीस भी रेग्युलेटर को जमा करनी होगी। अगर ये एजेंट भी खरीददार से झूठे वादे करने के दोषी पाए गए तो इन पर भी कानून का शिकंजा कसेगा।
नौ वर्षों के लंबे इंतजार के बाद सोमवार 1 मई 2017 से रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट) ऐक्ट यानी रेरा एक साथ पूरे देश में लागू हो रहा है। यह एक ओर खरीदारों को सुरक्षा का अहसास कराएगा, तो दूसरी ओर इस सेक्टर से जुड़े डिवेलपर्स के लिए भी यह मील का पत्थर साबित होगा। बीते दिनों में जिस अविश्वास की बात एक्सपर्ट्स कह रहे थे, वह अब दूर होगा।
ऐसा नहीं है कि इस कानून के दायरे में सिर्फ प्राइवेट बिल्डर या डिवेलपर्स ही आएंगे। हाउजिंग और कमर्शल प्रॉजेक्ट बनाने वाले डीडीए, जीडीए जैसे संगठन भी इस कानून के दायरे में आएंगे यानी अगर डीडीए भी वक्त पर फ्लैट बनाकर नहीं देता तो उसे भी खरीददार को उसकी जमा राशि पर ब्याज देना होगा। यही नहीं कमर्शल प्रॉजेक्टस पर भी रियल एस्टेट रेग्युलेटरी कानून लागू होगा।
सरकार ने मकानों के खरीददारों को बचाने और असली निजी रीयल एस्टेट कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए यह कानून लाया है। रीयल एस्टेट (नियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 पिछले साल मार्च में संसद से पारित हुआ था। उसकी सभी 92 धाराएं आज से प्रभावी हो गई है।