कमजोर हो रहे रुपये और बढ़ते जा रहे व्यापार घाटा पर विचार करने के लिए बृहस्पतिवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु एक अंतर-मंत्रालयी बैठक की अध्यक्षता करेंगे। यह बात एक अधिकारी ने कही। उन्होंने कहा कि बैठक में स्थिति संभालने के तरीके पर विचार किया जाएगा। आर्थिक विभाग, कोयला मंत्रालय, इस्पात मंत्रालय, तेल मंत्रालय और फार्माश्यूटिकल्स विभाग के प्रतिनिधि इस बैठक में भाग ले सकते हैं।
गौरतलब है कि रुपये ने डॉलर के मुकाबले 73.74 का रिकॉर्ड निचला स्तर छू लिया है। इससे भारत का आयात खर्च बढ़ेगा और देश का व्यापार घाटा भी बढ़ेगा। जुलाई में देश का व्यापार घाटा 18.02 अरब डॉलर का था, जो पांच साल में सर्वाधिक है। अगस्त में हालांकि यह मामूली घटकर 17.4 अरब डॉलर पर आ गया है।
मौजूदा कारोबारी साल की अप्रैल-अगस्त अवधि में देश के निर्यात में 16.13 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि इस दौरान आयात 17.34 फीसदी बढ़ा है। रुपये के कमजोर होने से देश का तेल आयात खर्च बढ़ने का अंदेशा है। इस साल रुपये में डॉलर के मुकाबले करीब 13 फीसदी गिरावट आ चुकी है।
चालू खाता घाटा पर असर डॉलने के साथ-साथ कमजोर हो रहे रुपये ने आयात को भी महंगा कर दिया है और इसके कारण तेल कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। भारत कच्चा तेल का आयात करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है।