पंजाब के अमृतसर में प्रशासनिक लापरवाही से बड़ा हादसा हुआ है। हादसे के बाद लोगों में प्रशासन को लेकर काफी नाराजगी है। इस हादसे में अब तक 61 लोगों की मौत की खबर है। वहीं 70 से अधिक घायल हैं। खबरों के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू घटना के वक्त मंच पर मौजूद थी। हादसे के बाद वह वहां से चली गई। हादसा बड़ा दर्दनाक है और इसकी फोटो दिखाई नहीं जा सकती। हालांकि राहत एवं बचाव कार्य जारी है।
ये सभी लोग अमृतसर के जौड़ा फाटक के पास स्थित एक मैदान में दशहरा का उत्सव देख रहे थे। उत्सव देखते-देखते ये सभी लोग रेलवे ट्रैक पर आ गए। तभी अमृतसर- दिल्ली रेलवे ट्रैक पर सौ से अधिक स्पीड में दो ट्रेने आ गई। हादसा अमृतसर के रेलवे फाटक नंबर 27c के पास हुआ। डीएमयू 74943 और हावड़ा एक्सप्रेस एक साथ विपरीत दिशा में गई।
प्रशासन की पहली लापरवाही ये थी कि आयोजन के लिए कोई इजाजत नहीं दी गई थी। वहीं दूसरी सबसे बड़ी चूक मैदान में लगी एलईडी लाइटें को रेलवे ट्रैक की ओर लगा दिया गया था। जिस वजह से लोग रेल ट्रैक नहीं देख पाए। वहीं तीसरी सबसे बड़ी चूक पटाखों की आवाज को माना जा रहा।
पटाखों का शोर इतना था कि लोगों को ट्रेन की आवाज नहीं सुनाई दी और ये बड़ा हादसा हो गया। हादसे के बाद रेलवे प्रशासन के तमाम आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए। वहीं राहत एंव बचाव कार्य शुरु कर दिया गया। दशहरा का आयोजन करने वाली कमेटी की सबसे बड़ी लापरवाही है। कार्यक्रम में नवजोत कौर सिद्धू मुख्य अतिथि थीं।
हादसे पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दुख जताया है। उन्होंने कहा, अमृतसर में दुखद रेल दुर्घटना के बारे सुनकर चौंक गया हूं। दुख के इस घड़ी में सभी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों को खुले रहने के लिए कहा गया है। जिला अधिकारियों को युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य शुरु करने का निर्देश दिया गया।
अमृतसर रेल हादसाः यहां हुई चूक
1- प्रशासन को रेलवे ट्रैक के पास इस तरह के आयोजन की अनुमति नहीं देनी चाहिए
2- रेलवे ट्रैक पर जाने वाली भीड़ को रोकने के लिए कोई पुलिस व्यवस्था नहीं थी
3- रेलगाड़ी को पास होने के लिए ग्रीन सिगनल था तब भी किसी की नजर नहीं गई
4- रेलवे के साथ स्थानीय प्रशासन का समन्वय नहीं था, जिसके कारण ट्रेन इतनी तेजी से गुजरी
5- घटना के बाद भी स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने देरी की
6- प्रत्यक्षदर्शी इकबाल सिंह के मुताबिक इससे पहले जो भी ट्रेनें निकली हार्न बजाती हुई धीरे-धीरे से निकली, लेकिन जो यह ट्रेन आई पूरी स्पीड में थी। जिससे लोगों को निकलने का मौका नहीं मिला। उनका कहना है यहां पर पिछले 40 साल से रावण दहन होता है। जो भी ट्रेनें निकलती हैं धीरे-धीरे निकलती हैं।