अमृतसर में हुए हृदय विदारक रेल हादसे ने जहां पूरे देश को झकझोर कर रखा दिया, वहीं रेलवे ट्रेन से कुचले गए बेकसूर लोगों के खून के छींटों से अपना ‘दामन’ बचाने में जुट गया है। रेलवे ने हादसे के दौरान ट्रैक पर खड़े लोगों को घुसपैठिया (ट्रैसपासर) तक करार दे दिया है।
रेलवे का मानना है कि संबंधित लोग घटना स्थल से 340 मीटर दूर बने लेवल क्रॉसिंग (फाटक) नंबर सी-27 से रेल पटरियों पर अनाधिकृत रूप से घुसे थे और पटरियों पर खडे़ होकर रावण दहन देख रहे थे। वहां से गुजरती ट्रेन लगातार हार्न बजा रही थी, लेकिन रावण के पुतलों में लगे पटाखों की गूंज में लोगों ने ट्रेन के हार्न को नहीं सुना। इस वजह से यह हादसा हुआ।
रेलवे ने तर्क देते हुए यह भी कहा कि हावड़ा एक्सप्रेस से पहले एक डीएमयू ट्रेन भी वहां से गुजरी थी, इसलिए डीएमयू ट्रेन के लिए लिए बाकायदा फाटक नंबर सी-27 को बंद कर ट्रैफिक रोक दिया गया था। लिहाजा इस फाटक से किसी की भी एंट्री रेलवे की ओर से अवैध थी। रेलवे ने मृतकों के परिजनों को सांत्वना भी दी है।
इन तर्कों से भी खुद को बचा रहा रेलवे
रेलवे का दावा है कि रावण फूंके जाना वाला मैदान और ट्रैक के बीच 2.5 मीटर ऊंची दीवार थी। फाटक बंद था और डीएमयू ट्रेन गुजरने की पूरी सूचना था। सिग्नल ग्रीन था, उसके बावजूद लोगों ने लापरवाही की। रेल प्रशासन का कहना है कि जहां रावण दहन हुआ, वह जमीन भी रेलवे की नहीं थी। लिहाजा आयोजकों को रेलवे से अनुमति लेने की जरूरत नहीं बनती, न ही रेलवे अनुमति देता। रेलवे को ट्रैक के पास संबंधित जगह दशहरे आयोजन की सूचना भी नहीं थी।
रेलवे को सूचना देता प्रशासन, तो थम जाती ‘ट्रेन’ की रफ्तार
इस हादसे से खुद को दूर रखते हुए रेलवे ने अमृतसर प्रशासन पर भी निशाना साधा है। रेलवे अथारिटी ने साफ किया है कि ट्रैक के पास दशहरा आयोजन करवाया जा रहा है। इसकी भी कोई सूचना स्थानीय प्रशासन ने रेलवे अथारिटी को नहीं दी।
एक रेलवे अफसर ने बताया कि ऐसे आयोजन की सूचना होती तो उस समय ट्रेन की स्पीड संबंधित एरिया में न केवल कम करने के औपचारिक आदेश जारी किए जाते, बल्कि उस क्षेत्र में मैनुअल रेडलाइट टार्च समेत कुछ ट्रैकमैन की भी नियुक्तियां कर दी जाती। ताकि ऐसे हादसे की संभावनाएं ही न रहती।
लेकिन ऐसी सूचना न होने और सिगनल क्लीयर मिलने की वजह से ट्रेनें अपनी निर्धारित स्पीड से गुजरी और ऐसे में एकदम ट्रेन की रफ्तार कम करना बड़ा मुश्किल होता है। उधर, मौके अभी तक रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा के साथ-साथ रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी, उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक विशवेश चौबे ने भी दौरा किया।
संवेदनहीनता पर पूर्व रेलमंत्री बंसल ने रेलवे को घेरा
यूपीए सरकार में पूर्व रेलमंत्री रहे पवन बंसल ने ‘संवेदनहीनता’ पर रेलवे अथारिटी को घेरा है। उन्होंने कई तरह के सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह माना जा सकता है कि इस हादसे में रेलवे की सीधी जिम्मेदारी नहीं बनती। लेकिन रेलवे इस घटना से अपना पल्ला भी पूरी तरह से नहीं झाड़ सकता।
बंसल ने कहा कि रेलवे को अपनी बात रखने का पूरा हक है। लेकिन ऐसे समय में ट्रैक पर खडे़ लोगों को घुसपैठिया (ट्रैसपासर) कहना रेलवे अथारिटी की बहुत ही संवेदनहीनता है। बंसल ने कहा कि ठीक है कि जहां दशहरा मनाया जा रहा था, वो जमीन रेलवे की नहीं थी और इसके लिए रेलवे की अनुमति की भी जरूरत नहीं थी, लेकिन घटनास्थल अमृतसर रेलवे स्टेशन से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर है और कई सालों से वहां दशहरा मनाया जाता था, तो क्या इस बात का नोटिस रेलवे को खुद नहीं लेना चाहिए था।
दूसरी ओर, घटना स्थल से मानवसहित रेलवे फाटक महज 340 मीटर दूरी पर था, तो जाहिर है फाटक पर मौजूद स्टाफ को भी मौके की पूरी जानकारी रही होगी, तो संबंधित स्टाफ ने समय रहते क्यों नहीं रेलवे अथॉरिटी को ट्रैक पर खड़ी भीड़ के बारे में अवगत करवाया? पूर्व मंत्री बंसल ने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री और पंजाब के मुख्यमंत्री मृतकों व घायलों के लिए मुआवजे की घोषणा कर चुके हैं। लिहाजा अब रेलवे को भी तुरंत प्रभाव से मुआवजे की घोषणा करने में देरी नहीं करनी चाहिए।