(Pi Bureau)
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शराब कारोबारी और किंगफ़िशर कंपनी के मालिक “ भगोड़े “ विजय माल्या को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना है | कोर्ट ने उन्हें 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है | बताते चलें इससे पहले बीते 9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना और डिएगो डील मामले में अपने आदेश को सुरक्षित रखा था.
कोर्ट ने माल्या के खिलाफ बैंकों की असोसिएशन की याचिका पर फैसला सुनाया है। पहले सुप्रीम कोर्ट ने माल्या से यह भी पूछा था कि उन्होंने अपनी संपत्ति के बारे में कोर्ट को जो जानकारी दी है, वह सही है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट जानना चाहता था कि माल्या ने कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है या नहीं। हाई कोर्ट का आदेश था कि माल्या कोर्ट की इजाजत के बगैर कोई भी ट्रांजक्शन नहीं कर सकते। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह माल्या के मामले में जारी होने वाले आदेश का पालन सुनिश्चित करने के बारे में बतााए क्योंकि माल्या देश छोड़ चुके हैं और यूके में रह रहे हैं। मामले की सुनवाई के दौरान एसबीआई ने कोर्ट को बताया कि माल्या के उपर 9200 करोड़ बकाया है।
बैंकों ने मांग की है कि डिएगो डील मामले में जो 40 मिलियन यूएस डॉलर मिले थे, उन्हें सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराई जाए बैंकों ने यह भी कहा था कि बार-बार कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने वाले विजय माल्या की किसी भी याचिका पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए. वहीं, माल्या ने कोर्ट में कहा था कि उनकी सभी संपत्ति जब्त कर ली गई है और अब उनके पास बैंक 92 सौ करोड़ रुपए के कर्ज को अदा करने के लिए पैसे नहीं है.
बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि माल्या डिएगो डील से मिली रकम को एक हफ्ते के अंदर भारत लेकर आए. यदि वे ऐसा नहीं कर सकते तो वह व्यक्तिगत तौर पर भारत आकर कोर्ट में पेश हों.
इससे पहले विजय माल्या ने अवमानना नोटिस को वापस लेने की मांग की थी. उनका कहना था कि संपत्ति का ब्यौरा समझौते के लिए दिया था, जो कि नहीं हो रहा है. इसे देखते हुए अवमानना का कोई केस नहीं बनता है.