एक बार फिर आम आदमी पार्टी को मिली 27 विधायकों की सदस्यता बचने से नई ऊर्जा

रोगी कल्याण समिति में लाभ के पद मामले में 27 विधायकों को राष्ट्रपति रामनाथ गोविंद से राहत मिलने से आम आदमी पार्टी को एक बार फिर ऊर्जा मिल गई। इससे पूर्व संसदीय सचिव मामले में भी 20 विधायकों की सदस्यता रद्द होने व फिर उस पर रोक लगने से पार्टी को बड़ी राहत मिली थी।

इन दोनों मामलों में भाजपा व कांग्रेस को झटका लगा, जबकि आप को आक्रामक होने का मौका मिला है। पार्टी के उस तर्क को भी मजबूती मिली कि उसके विधायकों को किसी मामले में फंसा कर काम करने से रोका जा रहा है। 

राष्ट्रपति के निर्णय के बाद भाजपा-कांग्रेस ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली और कोई भी नेता बोलने को तैयार नहीं है। उधर आप ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया। आप नेता दलीप पांडेय व मंत्री गोपाल राय ने हालांकि फैसले का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही सवाल उठा दिया कि इससे स्पष्ट हो गया कि उनके विधायकों को काम नहीं करने दिया जा रहा।

भाजपा पार्टी उनकी सरकार को फेल करने के लिए हर प्रकार के हथकंडे अपना रही है, बावजूद इसके वे काम करने में लगे हुए हैं। आप इस दोनों की मुद्दो को चुनाव में भी अहम मुद्दा बनाने में पीछे नहीं रहेगी और जनता को यह अहसास दिलवाया जाएगा कि किस प्रकार आम लोगों के काम में अड़ंगा लगाया जा रहा है।

गौरतलब है कि रोगी कल्याण समिति मामले में शिकायत लॉ के छात्र विभोर आनंद ने दी थी। उन्होंने तर्क रखा था कि 27 आप विधायक रोगी कल्याण समिति में अध्यक्ष के पद पर होने के नाते लाभ के पद पर हैं। लिहाजा इनकी विधायकी रद्द की जाए। 

शिकायत में कहा गया था कि रोगी कल्याण समिति  में विधायक सदस्य के तौर पर तो हो सकता है, लेकिन अध्यक्ष के पद पर नहीं। जबकि रोगी कल्याण समिति एक एनजीओ की तरह काम करती है जो कि अस्पतालों के प्रबंधन से जुड़ी है। इसमें इलाके के सांसद, विधायक, प्रशासनिक अधिकारी और स्वास्थ्य अधिकारी शामिल होते हैं। 

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