नसीमुद्दीन के बाद पत्नी हुस्ना और पूर्व विधायक ओपी सिंह व पूर्व एमएलसी प्रदीप सिंह भी निकाले गए !!!

(Pi Bureau)

 

लखनऊ :  नसीमुद्दीन सिद्दीकी के निष्कासन के बाद बुधवार को ही बहुजन समाज पार्टी ने एक पूर्व विधायक और एक पूर्व विधानपरिषद सदस्य को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने का आरोप लगाकर निष्कासित कर दिया। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर ने बताया कि सुलतानपुर के पूर्व विधायक ओपी सिंह और पूर्व विप सदस्य प्रदीप सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण निष्कासित किया गया है। ये दोनों नेता नसीमुद्दीन के करीबी माने जा रहे थे।समर्थन में कई नेताओं का इस्तीफा : नसीमुद्दीन के पार्टी से निकाले जाने के बाद उनके समर्थन में पूर्व मंत्री सलाहउद्दीन सिद्दीकी, लखनऊ सरोजनीनगर से दो बार विधायक रहे मो. इरशाद खान, बस्ती मंडल अध्यक्ष रहे डा. कितबुल्लाह और ज्ञान चंद्र निषाद ने प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इनका आरोप है कि नसीमुद्दीन पर लगाए गए आरोप निराधार हैं।

बसपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने व विस चुनाव में पैसे लेने का लगाया आरोप

नसीमुद्दीन ने कहा- बहनजी के कहने पर बेटी के अंतिम संस्कार तक में नहीं गया

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कद्दावर नेता व पार्टी सुप्रीमो मायावती के अत्यंत करीबी रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। अभी तक बसपा से निकाले गये बड़े नेताओं में मायावती के अत्यधिक अहम रणनीतिकार के निष्कासन पर एकबारगी किसी को विास नहीं हुआ। इतना ही नहीं नसीमुद्दीन की पत्नी हुस्ना और पुत्र अफजल को पार्टी से निकालकर पूरे कुनबे को बाहर का रास्ता दिखाया गया। इसकी घोषणा बसपा महासचिव एवं राज्य सभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र ने बुधवार को लखनऊ स्थित अपने आवास विंडसर पैलेस में संवाददाताओं के सम्मुख की। हालांकि नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने अपने ट्विीटर हैंडल पर कहा है कि मैंने पार्टी के लिए अपने 34-35 साल कुर्बान कर दिये। बहनजी के कहने पर बेटी के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुआ।बसपा नेता श्री मिश्र ने बताया कि नसीमुद्दीन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के साथ ही विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों से पैसे लेने का बड़ा आरोप था। हालांकि श्री सिद्दीकी को सुश्री मायावती ने कई बार बुलाया। उन्हें कई संदेश भेजे गये परन्तु वह अपना पक्ष रखने नहीं आये। ऐसे में उनकी पत्नी और बेटे को भी पार्टी से निकालने के सिवाय कोई चारा ही नहीं बचा था। बसपा की सरकारों में लगभग डेढ़ दर्जन विभागों के मंत्री रहे सिद्दीकी को मायावती का बेहद करीबी माना जाता था। वह विधान परिषद में नेता विरोधी दल भी रहे हैं। इस समय वह विधान परिषद में बसपा के नेता थे। उनकी पत्नी हुस्ना सिद्दीकी भी विधान परिषद की सदस्य हैं। उनके बेटे अफजल ने 2014 में बसपा से लोकसभा का चुनाव लड़ा था। राष्ट्रीय स्तर के बालीवाल के खिलाड़ी रहे सिद्दीकी को बसपा का मुस्लिम चेहरा माना जाता था। राज्य विधानसभा के चुनाव में सिद्दीकी ने 403 में से 100 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवारों को पार्टी से टिकट दिलवाया था। उन्हें चुनाव बाद ही उप्र और उत्तराखण्ड के पार्टी प्रभारी पद से हटाकर मध्य प्रदेश का प्रभारी बना दिया गया था।मूल रूप से बांदा जिले के रहने वाले नसीमुद्दीन ने 1988 में बसपा में शामिल हुये थे। वह 1991 में पहली बार विधानसभा के सदस्य चुने गये थे लेकिन 1993 में वह चुनाव हार गये। वह मायावती के चारों मुख्यमंत्रित्व काल में महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे। श्री सिद्दीकी सुश्री मायावती के इस कदर नजदीक थे कि गत जुलाई में भाजपा नेता दयाशंकर सिंह की बसपा अध्यक्ष के खिलाफ की गई कथित टिप्पणी को लेकर पार्टी के धरना प्रदर्शन का उन्होंने नेतृत्व किया था। श्री सिंह की पत्नी श्रीमती स्वाती सिंह ने बसपा के अन्य नेताओं के साथ ही उनके खिलाफ भी कई संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। सुश्री मायावती ने श्री सिद्दीकी के बेटे अफजल को विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान की कमान सौंपी थी। श्री सिद्दीकी के नजदीकी सूत्रों के अनुसार वह कल गुरुवार को अपनी प्रेस कांफ्रेंस में सुश्री मायावती को लेकर कई खुलासे कर सकते हैं।

 

 

 

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