केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले गन्ना किसानों का बकाया चुकाने को कमर कस ली है। उसने चीनी मिलों को बकाया चुकाने के लायक बनाने को निर्यात को बढ़ावा देने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। चीनी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तीन टीम पांच देशों के दौरे पर हैं। वह चीन, बांग्लादेश, मलयेशिया, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में निर्यात की संभावनाएं तलाश रही हैं। निर्यात बढ़ने से मिलों को अच्छे दाम मिलेंगे और वह बकाया चुकाने में सक्षम होंगी।
सरकार ने चीनी मिलों के लिए न्यूनतम सांकेतिक कोटा (एमआईईक्यू) के तहत 20 लाख टन चीनी निर्यात करना हाल ही में तय किया था। मिलों ने फिलहाल 8 लाख टन चीनी निर्यात का सौदा किया है और सरकार चाहती है कि देश में होने वाले करीब 65 लाख टन के अतिरिक्त उत्पादन को दूसरे देशों में भेजा जाए। इसके लिए सरकारी स्तर पर प्रयास शुरू किए गए हैं, ताकि कुल अतिरिक्त उत्पादन को दूसरे देशों को बेचकर घरेलू चीनी उद्योग को सक्षम बनाया जाए। जिसके मद्देनजर सरकार ने तीन टीम गठित कर दूसरे देशों में संभावनाएं तलाशने को भेजा है।
इसमें खाद्य, कृषि और वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी शामिल हैं जो चीन, बांग्लादेश, मलयेशिया और दक्षिण कोरिया समेत पांच देशों से प्राथमिक चर्चा के बाद निर्यात शर्तों पर चर्चा के लिए गए हैं। दरअसल विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के अनुसार जिस देश को निर्यात किया जाता है उससे तय सामग्री का आयात भी करना पड़ता है। ऐसे में भारत सिर्फ जरूरी वस्तुओं के निर्धारित आयात पर जोर देगा।
प्रोत्साहन राशि मिलने के बावजूद कंपनियां नहीं कर पा रहीं निर्यात
वाणिज्य, खाद्य एवं कृषि मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार चीनी का अतिरिक्त उत्पाद अगर दूसरे देशों को निर्यात हो जाता है तो देश की हरेक चीनी मिल को बड़ा फायदा होगा। उन्हें अच्छे दाम मिलेंगे और अतिरिक्त आय होगी जिसके जरिए बकाया चुकाना आसान होगा। सरकार चीनी निर्यात के लिए मिलों को 11 रुपये का प्रोत्साहन दे रही हैं जो 20 लाख टन तक है पर चीनी मिलें कुल निर्यात का आधा आंकड़ा भी नहीं छू पाईं। जिसके चलते सरकार ने आगे कदम बढ़ाए और उम्मीद है कि इस माह के अंत तक दूसरे देशों से निर्यात से जुड़ी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसके बाद अगले साल की शुरुआत तक उन्हें चीनी निर्यात की जा सकती है।
इससे बड़े पैमाने पर चीनी का निर्यात होगा जो सीधे तौर पर घरेलू उद्योग को बकाया चुकाने में सक्षम बना देगा।
गौरतलब है कि सरकार के इस प्रयास की वजह चुनाव से पहले गन्ना किसानों का बकाया चुकाना बताई जा रही है। इस कदम से यूपी और महाराष्ट्र के किसानों की नाराजगी दूर हो जाएगी जिसका फायदा चुनाव में मिलेगा। मौजूदा समय गन्ना किसानों को 17,000 करोड़ रुपया बकाया है। इस साल देश में 315 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ और चीनी की खपत 250 लाख टन रही, जबकि पिछले साल 16 लाख टन बफर स्टॉक था।