मीडिया का दायित्व है ‘समाज का प्रबोधन’ – राज्यपाल

लखनऊ में राज्यपाल ने किया पत्रकारों को सम्मानित

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में आयोजित विश्व पत्रकारिता दिवस एवं महर्षि नारद जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित ‘राष्ट्रधर्म और पत्रकारिता’ विषयक संगोष्ठी का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में राज्यपाल ने पत्रकारिता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिये आनन्द प्रकाश मिश्र, राजनाथ सिंह सूर्य, सुधीर मिश्र , सुभाष राय , राजीव श्रीवास्तव , शिल्पी सेन एवं प्रवीण तिवारी को पत्रकार सम्मान-2017 से सम्मानित किया।

 

इस अवसर पर नेता विरोधी दल राम गोविन्द चैधरी, राज्यमंत्री सूचना नीलकंठ तिवारी, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति एस0पी0 सिंह, हिन्दुस्थान समाचार के उपाध्यक्ष श्री जगदीश उपासने सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे। राज्यपाल ने कार्यक्रम में पत्रिका युगवार्ता के विशेषांक का विमोचन भी किया।

 

 

राज्यपाल ने कहा कि लोकतंत्र का चैथा स्तम्भ कही जाने वाली पत्रकारिता की गरिमा बनाये रखनी चाहिये। पत्रकारिता को उसके निर्धारित मानदण्ड एवं उचित आदर्शों पर ले जायें। ‘राष्ट्रधर्म और पत्रकारिता’ विषय पर अपने विचार रखते हुये उन्होंने कहा कि राष्ट्रधर्म का अर्थ कर्तव्य से जुड़ा है उसे समझने की जरूरत है। परिवर्तन के युग एवं बदलते चित्र में अपनी बात कैसे रखनी चाहिये, विचार का विषय है। न्यूज और व्यूज का मिश्रण न हो बल्कि समाचार का विश्लेषण अलग से प्रस्तुत किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि पत्रकार तथ्यपरक समाचार उपलब्ध कराने तथा समाज में सही विचार बनाने का कार्य करें।

 

समय बदलने से पत्रकारिता का उद्देश्य नहीं बदलना चाहिये

श्री नाईक ने कहा कि 1857 के स्वतंत्रता समर में पत्रकारिता ने सैनिकों को समर्थन देने का काम किया। अंग्रेजों ने प्रथम स्वतंत्रता समर को बगावत कहा तो वीर सावरकर ने पत्रकार के नाते इस प्रकार की बात रखी कि यह बगावत नहीं बल्कि देश की आजादी के लिये पहला स्वतंत्रता समर था। आज की पत्रकारिता और पूर्व की पत्रकारिता में फर्क है। उस समय देश को आजाद कराना ही ध्येय था। तब की पत्रकारिता से लोगों का ज्ञानवर्द्धन और प्रबोधन होता था। लोकमान्य तिलक द्वारा ‘मार्तण्ड’ में प्रकाशित अग्रलेख लोग ध्यानपूर्वक पढ़ते थे। उन्होंने कहा कि समय बदला है मगर पत्रकारिता का उद्देश्य नहीं बदलना चाहिये।

 

पत्रकारिता में वाचक की भूमिका महत्वपूर्ण

राज्यपाल ने कहा कि पत्रकारिता का दायित्व अत्यन्त महत्वपूर्ण है। आज के युग में प्रिंट, इलेक्ट्रानिक एवं सोशल मीडिया में स्पर्धा का दौर है। हर व्यक्ति की रूचि के अनुसार समाचार मिलता है। पत्रकारिता में वाचक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। सही और प्रमाणिक खबरों द्वारा अनुचित टिप्पणी से बचा जा सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में त्वरित समाचार पहुंचाना एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि समाज का प्रबोधन मीडिया का दायित्व है।

 

राष्ट्र को एक मानकर सोचना होगा – राम गोविन्द चैधरी

कार्यक्रम में बोलते हुए नेता विरोधी दल राम गोविन्द चैधरी ने कहा कि राष्ट्र और पत्रकारिता का धर्म निभाना महत्वपूर्ण है। राष्ट्र की एकता एवं अखण्डता को बचाये रखने के लिये शुद्ध पत्रकारिता की जरूरत है। पत्रकारिता में सोच बदली है। राष्ट्र को एक मानकर सोचना होगा। यह विचार करने की जरूरत है कि समाज की समरसता न बदले तथा राष्ट्र की मूल भावना पर चोट भी न आये। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के लिये आपसी मतभेद भुलाकर देश की रक्षा होनी चाहिये।

 

 

आदि पत्रकार थे देवऋषि नारद – नीलकंठ तिवारी

राज्यमंत्री सूचना नीलकंठ तिवारी ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि नारद जी इकलौते महापुरूष थे जो देवऋषि और ब्रह्मऋषि थे। उन्हें आदि पत्रकार माना जाता है। अच्छे राजतंत्र के लिये जनता की पीड़ा को राजा तक पहुंचाना तथा जनोपयोगी योजनाओं को आमजन तक ले जाना भी वास्तविक पत्रकारिता है। पत्रकारिता में शब्दों का संग्रह, समाचार का मूल्यांकन और उसकी सकारात्मकता महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने कहा कि पत्रकार जनकल्याण की सूचना एवं तथ्यपरक समाचार जनता तक पहुंचाने का काम करें।

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