लखनऊ की कौमी यकजहती का प्रतीक है , जयेष्ठ माह का हर मंगल ,जानिये पूरी कहानी !!!

(Pi Bureau)

 

“ बड़ा मंगल ”

बात है 1797 इस्वी के आसपास की अवध में रानी छत्रकुंवर (मलका ऐ ज़मानी) बहु बेगम ने मन्नत मांगी थी की उनके बेटे सआदत अली खान को अवध का नवाब बने तो वो हज़रत अली (अ.स.) के नाम पर एक बस्ती बसाई जाएगी और उसमें ही हनुमान जी का मंदिर भी बनेगा, सआदत अली खान अवध के नवाब बन गये, लिहाज़ा हज़रत अली (अ.स.) के नाम पर बस्ती कायम हुई उसे अली गंज के नाम से जाना जाता है और अलीगंज में ही हनुमान जी का मंदिर बना जिसे अब हनुमान जी के पुराने मंदिर के नाम से जाना जाता है इस जगह को अब मेहदी टोला के नाम से जाना जाता है ,यहाँ मंदिर के अलावा गुरुद्वारा,मस्जिद भी कायम हुई. सआदत अली खान की पैदाइश मंगल के दिन हुई इसलिए उनकी माँ उन्हें मंगलू कहती थी मन्नत पूरी हो चुकी थी मंदिर भी बन चुका था इस मंदिर पर”चाँद तारा” आज भी कायम है ,उसी दौरान जेठ महीने के पहले मंगल को यहाँ पहले मेले का आयोजन हुआ और कर्बला वालों की याद में सरकार की तरफ से लखनऊ जगह -२ सबील (प्याऊ) लगी और प्रसाद बाटा गया,इसके बाद सरकार ने जेठ महीने के पहले मंगल को बड़ा मंगल घोषित किया और सरकारी छुट्टी का एलान कर दिया तब से लेकर आज तक इस आदेश का पालन होता है और जेठ माह में पड़ने वाले सभी मंगलवार को पुराने हनुमानजी के मंदिर के साथ नए हनुमान मंदिर (जिसकी तामीर राजा जाट मल ने करवाई थी ) लखनऊ शहर के सभी हनुमान जी मंदिरों के अलावा जगह सबील (प्याऊ) लगतें हैं और प्रसाद बंटता है .अवध की गंगा जमुनी तहज़ीब की यह मिसाल आज भी कायम है लखनऊ में जेठ माह के मंगल के दिन इस पुरानी परम्परा को निभाया जा रहा है

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