गुरुवार को एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 51 पैसे की शानदार बढ़त के साथ 70.11 के स्तर पर खुला है जो 28 अगस्त के बाद सबसे ज्यादा उच्चतम स्तर है. वहीं, कारोबार के शुरुआती आधे घंटे में ही रुपया 70 प्रति डॉलर के स्तर के नीचे आ गया. रुपया फिलहाल (10:15 AM) 69.98 प्रति डॉलर के स्तर पर है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि रुपये में मजबूती के पीछे अमेरिकी डॉलर में आई गिरावट है. साथ ही, ट्रेड वॉर को लेकर घटती चिंताएं और क्रूड कीमतों आई भारी गिरावट का फायदा भी रुपये को मिला है. ऐसे में अब आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि इंपोर्ट करना सस्ता हो जाएगा. ऐसे में पेट्रोल-डीज़ल के साथ कई और चीजों के दाम घट सकते है.
रुपये में मज़बूती से क्या होगा-रुपये की कीमत पूरी तरह इसकी मांग एवं आपूर्ति पर निर्भर करती है. इस पर आयात (इंपोर्ट) एवं निर्यात (एक्सपोर्ट) का भी असर पड़ता है. अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है. इसका मतलब है कि निर्यात (एक्सपोर्ट) की जाने वाली ज्यादातर चीजों का मूल्य डॉलर में चुकाया जाता है. यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा मजबूत है या कमजोर. अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं. यह अधिकतर जगह पर आसानी से स्वीकार्य है.
ऐसे समझें-अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में भारत के ज्यादातर बिजनेस डॉलर में होते हैं. अपनी जरूरत का कच्चा तेल (क्रूड), खाद्य पदार्थ (दाल, खाद्य तेल ) और इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम अधिक मात्रा में आयात करेंगे तो आपको ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ेंगे. आपको सामान तो खरीदने में मदद मिलेगी, लेकिन आपका मुद्राभंडार घट जाएगा.
आप पर असर- भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है. रुपये में मज़बूती से पेट्रोलियम उत्पादों को विदेशों से खरीकर देश में लाना सस्ता हो जाता है. इस वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव घटा सकती हैं. डीजल के दाम कम होने से माल ढुलाई घट जाएगी, जिसके चलते महंगाई में कमी आएगी. इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है. रुपये की मज़बूती से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें घट सकती हैं.
यह है सीधा असर-एक अनुमान के मुताबिक डॉलर के भाव में एक रुपये की तेजी से तेल कंपनियों पर 8,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है. इससे उन्हें पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है. पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में 10 फीसदी वृद्धि से महंगाई करीब 0.8 फीसदी बढ़ जाती है. इसका सीधा असर खाने-पीने और परिवहन लागत पर पड़ता है. लिहाजा अब रुपये के मज़बूत होने पर इसका उलटा हो जाएगा. ऐसे में सरकार के साथ-साथ कंपनियों को भी फायदा होगा.