आयकर विभाग फ्लिपकार्ट के अधिग्रहण के बाद वॉलमार्ट की ओर से ई-कॉमर्स कंपनी के शेयरधारकों को किए गए भुगतान से जुड़े कराधान के मुद्दे पर गौर कर रहा है। मंगलवार को वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ट अधिकारी ने इसकी जानकारी दी।
अमेरिका की खुदरा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वॉलमार्ट ने मई में 16 अरब डॉलर (लगभग 1.05 लाख करोड़ रुपये) के सौदे में फ्लिपकार्ट की 77 फीसद हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य अखिलेश रंजन ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के कार्यक्रम के मौके पर अलग से कहा, “हमारे पास वॉलमार्ट की ओर से विभिन्न निवेशकों को किए गए भुगतान का पूरा ब्योरा है। कुछे एक मामलों में कर काटा गया है और कुछ अन्य में नहीं। ऐसे मामलों की हम समीक्षा कर रहे हैं।” रंजन ने कहा कि हमने ऐसे निवेशकों से कहा है कि वे बताएं कि उनको किया गया भुगतान कर योग्य क्यों नहीं है।
फ्लिपकार्ट के 44 शेयरधारकों ने ई-कॉमर्स कंपनी में अपनी हिस्सेदारी वॉलमार्ट को बेची है। इनमें साफ्टबैंक, नैस्पर्स, वेंचर फंड एसेल पार्टनर्स और ई बे जैसे निवेशक शामिल हैं। आयकर कानून के तहत यदि विक्रेता को पूंजीगत लाभ कर की छूट नहीं है तो खरीदार को विक्रेता को भुगतान करते समय कर काटना होता है।
सीबीडीटी के सदस्य ने कहा कि राजस्व विभाग ने पिछली तारीख से 10,247 करोड़ रुपये की कर मांग के आंशिक हिस्से की वसूली को केयर्न एनर्जी पीएलसी के सभी कुर्क शेयर बेचे हैं। हाल ही में नए प्रत्यक्ष कर कोड पैनल के प्रमुख के तौर पर नियुक्त रंजन ने कहा कि जनरल एंटी-अवाइडेंस रूल (जीएएआर) का प्रशासन जटिल है, लेकिन इसका इस्तेमाल सार्थक मामलों में किया जाएगा। वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट के प्रमुख शेयरधारकों को किए गए भुगतान पर सरकार को कर के रूप में 7,439 करोड़ रुपये का भुगतान किया है।