अल्पसंख्यक कोटा ख़त्म नहीं होगा, खबर को अफवाह बताया रमापति शास्त्री ने !!!

(Pi Bureau)

 

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में समाज कल्याण विभाग की योजनाओ में अल्पसंख्यको को दिया जाने वाले आरक्षण को ख़तम किये जाने की बात को सिरे से नकारते हुये समाज कल्यान्मंत्री रमापति शास्त्री ने इस को अफवाह करार दिया । मंत्री शास्त्री ने कहा समाज कल्याण विभाग की 28 योजनाओं में अल्पसंख्यकों को दिये जाने वाले 20 फीसद आरक्षण को खत्म नहीं करेगी। कल मीडिया में अचानक इसकी खबर वायरल होने पर शाम को उन्होंने यह स्पष्टीकरण दिया । उन्होंने ऐसी खबरों को बेबुनियाद बताते हुये कहा कि सरकार के पास फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है जिसमे ऐसा करने को कहा गया है ।

बताते चले कि कुछ दिन पहले यह सूचना समाज कल्याण मंत्री के हवाले से आयी थी कि तुष्टिकरण के नाम पर योजनाओं में कोटा देना उचित नहीं है। हम इसे खत्म करने के पक्षधर हैं। सरकार बगैर भेदभाव के सभी वगरे के विकास की पक्षधर है। समाज कल्याण विभाग की योजनाओं में आरक्षण खत्म करने के लिये एक प्रस्ताव जल्द ही मंत्रिमंडल के सामने पेश किया जायेगा।

उत्तर प्रदेश में  85 सरकारी योजनाओं में अल्पसंख्यकों को 20 प्रतिशत आरक्षण कोटे का लाभ दिया जा रहा है। इनमें सबसे ज्यादा योजनाएं समाज कल्याण और ग्रामीण विकास विभाग से संबधित है। कृषि, गन्ना विकास, लघु सिंचाई, उद्यान, कृषि विपणन, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, चिकित्सा एंव स्वास्य, सिंचाई, ऊर्जा, लघु उद्योग, खादी ग्राम उद्योग, सिल्क डेवलपमेंट, पर्यटन, शिक्षा नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन जैसी तमाम योजनाओं में कोटा का लाभ अल्पसंख्यकों को मिल रहा था। इसी क्रम में वक्फ राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने भी कहा कि पिछली सरकार ने योजनाओं में कोटा देकर भेदभाव किया। योजनाओं में सभी का हक बराबर है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी दावा किया कि योजनाओं में कोटे का कोई मतलब नहीं है। योजनाएं सभी के विकास के लिए होती हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 में राज्य की सत्ता संभालने के बाद अखिलेश सरकार ने अल्पसंख्यकों को सरकारी योजनाओं में आरक्षण का यह फैसला नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोटरें के बाद लिया था। सर्वे की रिपोर्ट्स  में धार्मिक समूहों में रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति को आधार बनाया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि मुसलमानों का औसत प्रति व्यक्ति खर्च रोजाना सिर्फ 32.66 रुपये है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुसलमान परिवारों का औसत मासिक खर्च 833 रुपये, जबकि हिन्दुओं का 888, ईसाइयों का 1296 और सिखों का 1498 रुपये बताया गया था। शहरी इलाकों में मुसलमानों का प्रति परिवार खर्च 1272 रुपये था जबकि हिन्दुओं का 1797, ईसाइयों का 2053 और सिखों का 2180 रुपये था।

 

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