दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (DPCC) के अध्यक्ष अजय माकन भले ही अपना इस्तीफा दे चुके हों, लेकिन नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर पार्टी आलाकमान अभी विचार कर रहा है। एक ओर पार्टी नए अध्यक्ष के नाम पर सर्वसम्मति बनाना चाह रही है तो दूसरी ओर कोई एक ऐसा नाम भी तलाश रही है जो आगामी लोकसभा चुनाव 2019 और दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में पार्टी के ग्राफ को और ऊपर लेकर जाए। यही वजह है कि पार्टी अालाकमान दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नया नाम तय करने से पहले पूरी तरह विचार कर लेना चाह रहा है। इस बीच दिल्ली कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि संभव है कि प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित आगामी लोकसभा चुनाव और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए यह पद दिया जा सकता है।
तकरीबन 20 लोगों ने ठोका दांव
जानकारी के मुताबिक, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद को लेकर ऊपर-ऊपर तो 4-5 नाम ही चल रहे हैं, मगर दावेदारी 15 से 20 वरिष्ठ नेता ठोक चुके हैं। इनमें कई पूर्व अध्यक्ष, सांसद, मंंत्री और विधायक शामिल हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) में सचिव पद की जिम्मेदारी संभाल रहे कई नेता भी इस दौड़ में शामिल हैं। यह अलग बात है कि अध्यक्ष पद के लिए जितने अधिक नाम हैं, उतना ही उन्हें लेकर विरोधाभास भी है। आपस में ही एक दूसरे की काट करने का दौर भी जोरों पर चल रहा है।
फिलहाल वेट एंड वॉच की मुद्रा में पार्टी आलाकमान
इस बीच पार्टी आलाकमान शांत और तटस्थ भाव से सारी स्थिति पर निगाह रखे हुए है। अब तक न तो नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर कोई मानक तय किए गए हैं और न ही बहुत सारे नामों में से कुछ को शॉर्ट लिस्ट किया गया है। कहा जा रहा है कि अगर पार्टी ने दो मानक ही बना दिए कि किसी पूर्व अध्यक्ष को दोबारा यह जिम्मेदारी नहीं मिलेगी और नया अध्यक्ष एक निर्धारित आयु वर्ग से होगा, तो इतने भर से ही अधिकतर नेताओं की दावेदारी खत्म हो जाएगी।
सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुनना चाहती है कांग्रेस
पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि मौके की नजाकत को देखते हुए पार्टी आलाकमान एक ऐसे व्यक्ति को यह जिम्मेदारी देना चाहते हैं, जिसके नाम पर कोई विरोध न हो। वजह, चुनावी बेला में गुटबाजी पार्टी को रसातल में ले जा सकती है। पार्टी आलाकमान के सामने एक चुनौती यह भी खड़ी है कि पिछले तीन सालों में अजय माकन ने दिल्ली में पार्टी का जो ग्राफ ऊपर उठाया है, नया अध्यक्ष ऐसा हो, जो उसको और आगे लेकर जाए।
मालूम हो कि 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का मत फीसद जहां महज 9.66 रह गया था, वहीं अब वह नगर निगम एवं कई उप चुनाव के बाद 26.24 फीसद तक पहुंच गया है। सीलिंग सहित विभिन्न मुददों को पार्टी बेहतर तरीके से भुनाने में कामयाब रही है। कुल मिलाकर अभिप्राय यह कि नए अध्यक्ष के नाम की घोषणा पर पार्टी की केंद्रीय समिति की ओर से पूर्णतया गंभीरता बरती जा रही है।
ये हैं प्रमुख दावेदार
प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शुरू से ही पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का नाम चर्चा में रहा है। लेकिन उनके नाम पर कई लोग नाक भौं भी सिकोड़ रही है। एक प्रबल दावेदार पूर्व मंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष योगानंद शास्त्री भी बताए जा रहे हैं। इसके अलावा नगर निगम में सदन के नेता मुकेश गोयल, पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान, पूर्व सांसद महाबल मिश्रा के नामों की भी चर्चा है।
राहुल गांधी के करीबी राजेश लिलोठिया भी दावेदारों में
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष पद के लिए दिल्ली के पूर्व विधायक और फिलहाल राजेश लिलोठिया दावेदारों में शामिल बनाए जा सकते हैं। इनके पक्ष में एक बात यह भी जा सकती है ये युवा हैं और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी हैं। पिछले साल ही राहुल गांधी ने राजेश लिलोठिया को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का राष्ट्रीय सचिव बनाया था।
बादली से पूर्व विधायक भी दौड़ में
बादली विधानसभा सीट से कांग्रेस के पूर्व विधायक देवेंद्र यादव भी दिल्ली कांग्रेस नए चीफ बन सकते हैं। देवेंद्र युवा होने के साथ राहुल गांधी और सोनिया गांधी के करीबी भी हैं। वर्ष 2017 में पार्टी ने देवेंद्र को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सचिव नियुक्त किया था।
गौरतलब है कि कई महीने की रस्साकशी के बाद दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (DPCC) अध्यक्ष अजय माकन को इस पद से विदाई की मंजूरी मिल गई है। कुछ महीने पहले उन्होंने इस्तीफा देने की पेशकश की थी, जिसे अब स्वीकार किया जा रहा है। कहने का मतलब पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन की अध्यक्ष पद से विदाई सुनिश्चित हो गई है और नए अध्यक्ष का निर्णय अगले दो-तीन दिन में होने के आसार हैं। वहीं, कहा यह भी जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी उन्हें केंद्रीय राजनीति में अपने साथ जोड़ सकते हैं। यानी अजय माकन भविष्य में राष्ट्रीय राजनीति में अपनी नई भूमिका में नजर आ सकते हैं। बता दें कि इससे पहले आई खबरों में दावा किया गया था कि अजय माकन ने अपने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है और राहुल गांधी ने इसे मंजूर नहीं किया था।