मैं अपने जवानों को मरते हुये नहीं देख सकता , पेट्रोल बम और पत्थर फेंके जाने पर वे मूक कैसे रहे – जनरल विपिन रावत !!!

(Pi Bureau)

 

नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने घाटी में मेजर  गोगोई द्वारा कश्मीरी व्यक्ति का इस्तेमाल मानव ढाल के रूप में किए जाने का पुरजोर बचाव करते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना ‘घृणित युद्ध’ का सामना कर रही है, जिसे ‘नए’ तरीके से लड़ने की जरूरत है.

 

रावत ने आज दिल्ली में कहा कि मेजर लीतुल गोगोई को सम्मानित करने का मुख्य उद्देश्य सुरक्षा बलों सहित उस युवा अधिकारियों का मनोबल बढ़ाना था, जो आतंकवाद प्रभावित राज्य में बहुत विपरीत परिस्थितियों में अघोषित युद्ध का सामना कर रहे है . हलाकि गोगोई के खिलाफ इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वारी जारी है, और कश्मीर पुलिस ने उनके खिलाफ हुयी प्रथम सूचना रिपोर्ट भी क्वाश भी नहीं की है .

 

जनरल रावत ने कहा, कश्मीर में एक  क्षद्म युद्ध चल रहा है और क्षद्म युद्ध घृणित लड़ाई होती है. इसे घृणित तरीके से अंजाम दिया जाता है. संघर्ष के नियम तब लागू होते हैं, जब विरोधी पक्ष आपसे आमने सामने लड़ता है. यह घृणित युद्ध है, ऐसे समय में नए तरीकों का जन्म होता है. आप नए तरीकों से घृणित युद्ध लड़ते हैं.’

बताते चले पिछले दिनों उपचुनावों में मेजर गोगोई द्वारा एक कश्मीरी युवाल को मानव ढाल के रूप में जीप में बैठा कर घुमाया था जिसका व्यापक स्तर पर विरोध हुआ था.

 

सेना पर कश्मीर में लगातार हो रहे पथराव पर पहली बार बोलते हुए सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा, जब लोग जब हम पर पथराव कर रहे हों और पेट्रोल बम फेंक रहे हों तो मैं अपने जवानों से ‘केवल इंतजार करने और मरने’ के लिए नहीं कह सकता हूं. उन्होंने कहा कि पत्थरबाजी का जवाब दिया जाना जरूरी है. क्या मैं उनसे यह कहू कि आप लोग शांत रहे , बस इंतजार करिए और जान दे दीजिए… मैं राष्ट्रीय ध्वज के साथ एक अच्छा ताबूत लेकर आऊंगा और सम्मान के साथ शव को आपके घर भेजूंगा. प्रमुख के तौर पर क्या मुझे यह कहना चाहिए? मुझे वहां तैनात सैनिकों को मनोबल बनाए रखना है.’

उन्होंने आगे कहा कि मुझे ख़ुशी होगी अगर यह लोग पत्थर के बजाये हथियार चलाये . तब सेना वह करती जो वह करती है , यह सब डर्टी गेम खेल रहे है

गौरतलब हो कि कश्‍मीर में पिछले कई महीनों से सेना पर पत्‍थरबाजी की घटनाएं हो रही हैं. यह एक राजनीतिक मुद्दा भी बनता जा रहा है. विपक्ष जहां इसके लिए सरकार की नीतियों और सेना के निर्णयों को दोषी ठहरा रहा है वहीं सरकार का बार बार यही कहना है कि देश विरोधी गतिविधियों को सही नहीं ठहराया जा सकता.

 

 

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