इनकम टैक्स में वित्त मंत्री ने किए 5 बड़े बदलाव, जानें कितनी होगी बचत

बजट 2019 में मिडिल क्लास को छूट देते हुए 5 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री कर दिया गया है। इससे पहले 2.5 लाख रुपये तक की आय ही टैक्स फ्री थी। इसके साथ ही मोदी सरकार ने अंतरिम बजट 2019 में इनकम टैक्स को लेकर पांच बड़े बदलाव किए हैं, जिन्हें हम बारी-बारी से समझते हैं।

1. इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 87A के तहत छूट के दायरे को बढ़ाकर 12,500 रुपये कर दिया गया है। यह उनके लिए हैं, जिनकी आय 5 लाख रुपये तक है।

रिबेट, टैक्स की वह रकम होती है, जिसका भुगतान टैक्सपेयर्स को नहीं करना होता है.

मसलन अगर किसी व्यक्ति की सकल आय वित्त वर्ष 2019-20 में 6.5 लाख रुपये है और वह सेक्शन 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये का निवेश कर चुका है तो अब उसे 5 लाख रुपये की आय पर ही टैक्स का भुगतान करना होगा और उसकी कर देनदारी 12,500 रुपये (2.5 लाख का 5 फीसद) होगी। लेकिन चूंकि छूट 12,500 रुपये की है, इसलिए उसे 5 लाख वाले स्लैब में शून्य कर का भुगतान करना होगा।

2.स्टैंडर्ड डिडक्शन को इस बजट में बढ़ाकर 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया गया है। इसमें 10,000 रुपये का इजाफे से टैक्स देनदारी में कमी आएगी और जो 30 फीसद वाले स्लैब में हैं, उन्हें प्रति व्यक्ति 3,000 रुपये तक की बचत होगी।

3. वित्त मंत्री ने इसके साथ ही दो घरों में किए जाने वाले निवेश से होने वाली पूंजीगत कमाई को भी कर मुक्त कर दिया है। इस श्रेणी में 2 करोड़ रुपये तक की आमदनी को टैक्स फ्री कर दिया गया है। फिलहाल यह छूट केवल एक घर पर ही मिलती है।

4.बजट में दो घर होने की स्थिति में एक से होने वाली आय को भी करमुक्त कर दिया गया है। कामकाजी वर्ग को इस छूट से बड़ा लाभ मिलेगा। दूसरे मकान के अनुमानित किराये पर लगने वाले आयकर के शुल्‍क में छूट का प्रस्‍ताव किया गया है। अगर एक व्‍यक्ति के पास एक से अधिक अपना घर है तो उसे अनुमानित किराये पर आयकर का भुगतान करना होता है, जिसे अब टैक्स फ्री कर दिया गया है।

मौजूदा नियमों के मुताबिक यदि आपके पास एक से ज्यादा घर हैं तो आपको फिर हर घर पर नोशनल रेंट का भुगतान करना होता है।

5.इसके साथ ही बैंकों या पोस्ट ऑफिस में जमा बचत पर मिलने वाले ब्याज की सीमा को बढ़ा दिया गया है। फिलहाल 10,000 रुपये की ब्याज आय पर टीडीएस देना पड़ता था, जिसे बढ़ाकर अब 40,000 रुपये कर दिया गया है।

प्रस्तावित बदलाव के बाद 10 लाख रुपये तक की आय पर 20 फीसद जबकि 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसद का टैक्स देना होता है।

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