(Pi Bureau)
लखनऊ, 13 जून, 2017
प्रदेश सरकार ने पारदर्शिता, कानून का राज, समता, प्रभावशीलता, आम सहमति, उत्तरदायित्व एवं भागीदारी के सिद्धान्तों को आधार बनाते हुए प्रदेश की नई खनन नीति लागू की है। इस सम्बन्ध में अपर मुख्य सचिव, भूतत्व एवं खनिकर्म, श्री राज प्रताप सिंह ने शासनादेश जारी कर दिया है।
उत्तर प्रदेश खनन नीति-2017 का मुख्य उद्देश्य खानो एवं खनिजों के माध्यम से प्रदेश का सामाजिक एवं आर्थिक विकास सुनिश्चित करना है। साथ ही इस नीति के तहत खनिजों के संरक्षण, पर्यावरण के संतुलन को बनाये रखने तथा खनिजों से प्राप्त होने वाले राजस्व का राज्य के कुल राजस्व प्राप्ति में अंश को
1.85 प्रतिशत से बढ़ाकर आगामी पांच वर्षों 03 प्रतिशत किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि इस नई नीति के तहत ई-टेण्डरिंग, ई-आॅक्शन एवं ई-बिडिंग को प्रभावी ढंग से लागू किया जायेगा ताकि खनिज सेक्टर में रोजगार के अवसर, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा, खनिज आंकड़ों की उपलब्धता, खनन विकास में पूंजीनिवेश एवं उद्यमता तथा खनिजों के परिहार की पारदर्शी प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया जा सके।
श्री राज प्रताप सिंह ने बताया कि नई नीति के तहत खनिजों के अन्वेषण में तेजी लाकर महत्वपूर्ण श्रेणी के खनिजों के भण्डारों का सिद्धीकरण कराया जायेगा ताकि उनका व्यावसायिक रूप से दोहन किया जा सके। साथ ही निम्न श्रेणी के खनिजों का उच्चीकरण करते हुए खनिज विकास एवं खनिज उद्योगों को बढ़ावा दिया जायेगा। इसके अलावा सरलीकृत, पारदर्शी एवं समयबद्ध कार्य प्रणाली, खनिज आधारित सूचना एवं अवस्थापना सुविधाओं, आधारभूत सुविधाओं, विभागीय सचल दल, विभागीय सुरक्षा बल जैसे मुद्दों की ओर विशेष ध्यान दिया जायेगा।
नई नीति में दोषी पट्टेदारों के विरूद्ध नियमानुसार सख्त कार्यवाही करने, सक्षम न्यायालय में मुकदमा दर्ज करने तथा उनका पट्टा निरस्त करते हुए उन्हें काली सूची में डाले जाने की व्यवस्था की गई है। साथ ही खान एवं खनिज से सम्बन्धित अपराधों की त्वरित सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय की सहमति से राज्य सरकार द्वारा क्षेत्रानुसार विशेष न्यायालय का गठन भी किया जायेगा।