(Pi Bureau)
जहां एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद रविवार से अपना चुनाव प्रचार यूपी की राजधानी लखनऊ से शरू कर रहे हैं ,तो दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए विपक्षी एकजुटता को बचाए रखना मुश्किल हो रहा है। राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर कांग्रेस के रुख से कुछ और विपक्षी दल भी खुश नहीं हैं तो उधर लालू और नीतीश के बीच शुरू हुई जुबानी जंग भी थमने का नाम नहीं ले रही है।
सूत्रों के अनुसार, नीतीश कुमार के अलावा ममता बनर्जी, शरद पवार और देवेगौड़ा की भी विपक्षी उम्मीदवार के रूप में मीरा कुमार पहली पसंद नहीं थीं। जब नीतीश कुमार, नवीन पटनायक और बाकी क्षेत्रीय दलों ने रामनाथ कोविंद को समर्थन दे दिया, तब ममता ने मीरा कुमार पर अनिच्छा से हामी भर दी। नीतीश ने गोपाल कृष्ण गांधी के नाम का प्रस्ताव दिया था, लेकिन कांग्रेस ने उनके नाम पर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई।
इसी तरह देवेगौड़ा किसी सिविल सोसायटी से जुड़ी शख्सियत को उम्मीदवार बनाना चाहते थे। शरद पवार महाराष्ट्र से उम्मीदवारी चाहते थे। सूत्रों के अनुसार, मीरा कुमार के नाम पर कांग्रेस की मुहर लगने के बाद 22 जून की मीटिंग से शरद पवार और देवेगौड़ा दोनों खुद को अलग करना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने अंतिम समय में मीटिंग में आने के लिए उन्हें मना लिया। विपक्ष के एक सीनियर नेता ने कहा कि अब असली चुनौती इन सभी दलों के विधायकों-सांसदों का वोट लेना है। जितने दलों ने मीरा कुमार को समर्थन दिया है, अगर उतने वोट नहीं आए तो इससे विपक्ष को करारा झटका लगेगा।