(Pi Bureau)
रेल का सफर अगले कुछ महीनों में महंगा हो सकता है। दरअसल रेलवे ने यात्रियों को दी जाने वाली सुविधाओं में इजाफा करने की तैयारी शुरू की है और इसके लिए टिकट पर मिलने वाली सब्सिडी को भी बंद किया जा सकता है। इसका सीधा प्रभाव आरक्षित डिब्बों में यात्रा करने वाले पैसेंजर्स पर पड़ेगा। उन्हें मौजूदा टिकट के लिए 43 फीसदी ज्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है।
एसी श्रेणी से शुरू होगी योजना
इस योजना में सबसे पहले वातानुकूलित श्रेणी में यात्रा करने वाले यात्रियों को शामिल किया जाएगा। इसके बाद शयनयान श्रेणी और बाद में मेमू, डेमू जैसी पैसेंजर ट्रेनों में इसे लागू किया जाएगा। रेलवे उज्ज्वला योजना की तरह इस स्कीम को शुरू करेगा। जिस तरह से उज्ज्वला योजना में एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी छोड़ने के लिए लोगों से कहा गया, वैसा ही रेल यात्रा का टिकट बुक करते वक्त यात्रियों से कहा जा सकता है।
इसलिए बनाया प्लान
रेलवे लगातार यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं में बढ़ोतरी कर रहा है। पिछले पांच साल में इस दिशा में बहुत सारा काम हो रहा है। चाहे स्टेशनों का कायाकल्प करने की बात हो, या फिर नई बेहतर सुविधाओं वाली ट्रेनों की अथवा ट्रेनों की गति बढ़ाने की, हर जगह बेहतरी देखने को मिल रही है।
अक्तूबर से बढ़ जाएंगी चार लाख बर्थ
अक्तूबर के महीने से रेलवे चार लाख अतिरिक्त यात्रियों को बर्थ मुहैया कराने जा रहा है। इसके लिए भी एक नई तकनीक पर काम हो रहा है, जिससे जहां एक तरफ प्रत्येक ट्रेन में एक अतिरिक्त कोच लग जाएगा, वहीं रेलवे को सालाना छह हजार करोड़ रुपये की बचत भी होगी। रेलवे एलएचबी कोच में लगे जेनरेटर कार को हटाकर के कोच की छत के जरिए बिजली की सप्लाई करेगा। ऐसे कोच की संख्या पांच हजार होगी।
तेजस, हमसफर, वंदेभारत जैसी ट्रेन
पहले प्रीमियम श्रेणी में केवल राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेन हुआ करती थीं। लेकिन इन पांच साल में रेलवे ने कई उच्चीकृत सुविधाओं से लैस ट्रेनें जैसे कि तेजस, हमसफर, वंदेभारत को शुरू किया था। इन ट्रेन में यात्रियों के लिए कई नई सुविधाएं शुरू की गई थीं, जो पहले केवल हवाई यात्रियों को मिलती थीं। इन ट्रेन की गति को भी बढ़ाया गया था ताकि लोग कम से कम समय में अपने सफर को पूरा कर सकें।
2016-17 में शुरू की गई नई ट्रेनें
2016-17 के बजट में 21 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 1,21,000 करोड़ रुपये की घोषणा की थी। इस दौरान प्रभु ने तीन नई ट्रेनें चलाने की घोषणा की थी। इन नई ट्रेनों को हमसफर, तेजस और उदय नाम दिया था। इसके अलावा उत्कृष्ट नाम से डबल डेकर ट्रेन को चलाने की घोषणा की थी। तेजस 130 किमी पर चलने वाले पहली थर्ड एसी ट्रेन थी, जिसमें वाई-फाई और अन्य सुविधाओं को शुरू किया गया था।
50 लाख करोड़ रुपये का निवेश
रेलवे ढांचागत सुविधा के लिये 2018 से 2030 के दौरान 50 लाख करोड़ रुपये निवेश की जरूरत है, तेजी से विकास और रेलवे में यात्री तथा माल ढुलाई सेवाओं के विस्तार के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी मॉडल) का उपयोग किया जाएगा।
बनने लगे एयरपोर्ट जैसे रेलवे स्टेशन
इन पांच सालों में देश के अंदर एयरपोर्ट जैसे रेलवे स्टेशन बनने लगे हैं। सूरत, गांधीनगर, हबीबगंज (भोपाल), वाराणसी जैसे कई स्टेशनों का कायाकल्प शुरू हो गया है, वहीं वैष्णो देवी कटरा स्टेशन को इसी तर्ज पर बनाया गया है। इसके अलावा भी देश के अन्य रेलवे स्टेशनों को इसी तर्ज पर बनाया जाएगा।
एफडीआई की हुई शुरुआत
2014 के अपने पहले रेल बजट में तत्कालीन रेल मंत्री सदानंद गौड़ा ने अपने बजट भाषण में रेलवे में एफडीआई लाने की वकालत की थी। उसी दौरान मुंबई-अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की घोषणा की गई थी। बुलेट ट्रेन के लिए बहुत ज्यादा निवेश चाहिए था। इसके बाद ही सरकार को जापान से बुलेट ट्रेन नेटवर्क बनाने के लिए लोन मिल गया।
एक हजार स्टेशनों पर वाई-फाई सुविधा