केंद्र सरकार जल्द ही घाटे में चल रही दो दूरसंचार कंपनियों (बीएसएनएल व एमटीएनएल) को विलय कर सकता है। इस तरह का प्रस्ताव दूरसंचार मंत्रालय ने तैयार कर लिया है। हालांकि दोनों कंपनियों का रिवाइवल भी हो सकता है, जिसके लिए भी एक विकल्प पर काम चल रहा है। प्रस्ताव के मुताबिक एमटीएनएल का बीएसएनएल में विलय किया जाएगा, ताकि दोनों कंपनियां के घाटे में कमी आ सके।
एमटीएनएल दिल्ली और मुंबई में टेलीफोन सेवाएं देती है। बाकी सर्किल में बीएसएनएल की सेवाएं उपलब्ध हैं। फिलहाल दोनों कंपनियां घाटे में चल रही हैं।
प्लान हो रहा है तैयार
दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इसके लिए सरकार एक प्लान तैयार कर रही है। इस प्लान के मिल जाने के बाद सरकार आगे की कार्यवाही करेगी। प्रसाद ने कहा कि मोबाइल कंपनियों में प्रतिस्पर्धा, कर्मचारियों की उच्च लागत और 4जी सेवा के न होने से इन दोनों की वित्तीय हालत काफी खराब हो गई है।
केंद्र की इस मदद से बीएसएनएल को 6365 करोड़ रुपये और एमटीएनएल को 2120 करोड़ रुपये इस मद के लिए मिलेंगे। इसके एवज में सरकार 10 साल के लिए जारी बांड को गिरवी के तौर पर रखेगी।
बीएसएनएल पर फिलहाल 14 हजार करोड़ की देनदारी है और वित्त वर्ष 2017-18 में उसे 31287 करोड़ का नुकसान हुआ था। कंपनी में फिलहाल 1.76 लाख कर्मचारी कार्यरत हैं। वीआरएस देने से कर्मचारियों की संख्या अगले 5 सालों में 75 हजार रह जाएगी।